रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में खुलासा, कर्ज माफ करने से किसानों को नहीं हुआ कोई लाभ
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने किसानों की कर्जमाफी पर गंभीर सवाल उठाए हैं। बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कर्ज माफ करने से किसानाें को कोई फायदा नहीं हुआ है।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। रिजव्र बैंक आॅफ इंडिया (आरबीआइ) ने कहा है कि प्रदेश सरकारों ने किसानों को राहत देने के लिए उनके कर्ज माफ जरूर कर दिए, लेकिन इससे उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ है। जिन किसानों के कर्ज माफ हुए हैैं बैैंक उन्हें अब कर्ज देने से ही मना कर रहे हैैं। ऐसी स्थिति में मजबूरन किसान आढ़तियों व साहूकारों के चंगुल में फंस रहे हैैं और उनसे कर्ज ले रहे हैैं। इस संबंध में आरबीआइ ने एक रिपोर्ट में जारी किया है। सरकारों को इस रिपोर्ट के बाद एक बार फिर से कर्जमाफी के बारे में सोचने की जरूरत है।
रिजर्व बैैंक ने किसान कर्जमाफी पर दी नकारात्मक रिपोर्ट, जिनके कर्ज माफ हुए उन्हें बैैंक नहीं दे रहे अब कर्ज
पंजाब समेत देश के अन्य राज्यों द्वारा किसानों को दी गई कर्जमाफी पर भारतीय रिजर्व बैैंक (आरबीआइ) ने ऐतराज जताया है। जुलाई की अपनी रिपोर्ट में आरबीआइ ने किसानों की कर्जमाफी पर कहा है कि इसका राज्यों की आर्थिक हालत पर जहां बुरा असर पड़ा है वहीं, किसानों को फसलों की पैदावार बढ़ाने में इसका कोई लाभ नहीं हुआ है।
किसान फिर से आढ़तियों और साहूकारों के चंगुल में फंस रहे
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्जमाफी से राज्य सरकारों का वित्तीय घाटा बढ़ गया है। यह भी देखने में आया है कि जिन किसानों को बैंकों ने कर्जमाफी दी है, उन्हें भविष्य में कर्ज देने से मना कर दिया है। अब किसानों को संस्थागत कर्ज नहीं मिल रहे और वे फिर से आढ़तियों व साहूकारों के गैर संस्थागत कर्ज के जाल में फंस रहे हैं।
निवेश और फसलों की पैदावार में भी नहीं हुई कोई बढ़ोतरी
आरबीआइ ने डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार द्वारा 2008 में दी गई कर्ज राहत के मामले में भी ऐसे तथ्य दिए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्जमाफी से प्रति घर को कुछ राहत तो मिली है लेकिन इसका पैदावार व निवेश बढ़ाने में कोई साक्ष्य नहीं मिला है। यही नहीं, किसानों को कर्जमाफी देने से ग्रामीण बैंकिंग सिस्टम पर भी बुरा असर पड़ा है। किसानों ने कर्जमाफी के कारण अन्य संस्थाओं से लिए गए लोन को अदा करने में आनाकानी शुरू कर दी है।
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पंजाब ने दी 3400 करोड़ की कर्ज राहत
पंजाब, उत्तर प्रदेश, तमिलनाड़ु, महाराष्ट्र व कर्नाटक की सरकारों ने पिछले दो सालों में किसान कर्जमाफी की घोषणा की है, जबकि आंध्र प्रदेश व तेलंगाना ने 2014 में की थी। आंध्र प्रदेश व तेलंगाना ने 2400-2400 करोड़ रुपये और पंजाब, महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश ने 3400-3400 करोड़ रुपये की कर्ज राहत किसानों को दे दी है। राजस्थान ने 800 करोड़ रुपये की राहत दी है।
पंजाब के किसानों पर 80 हजार करोड़ का कर्ज
पंजाब के किसानों पर इस समय 80 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। मार्च 2017 में किसानों का पूरा कर्ज माफ करने के वादे के साथ कैप्टन सरकार सत्ता में आई थी। कर्ज माफी कैसे दी जाएगी, इसके लिए प्रसिद्ध कृषि अर्थशास्त्री डॉ. टी.हक के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी की सिफारिश पर सरकार ने ढाई एकड़ तक के किसानों का दो लाख रुपये तक कर्ज माफ किया है। यह अलग बात है कि किसान इस कर्ज राहत से संतुष्ट नहीं हैं। वे चाहते हैं कि सरकार उनका पूरा कर्ज माफ करे।
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कर्ज माफी को लेकर हो रहे हैं आंदोलन
बेशक, आरबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में कर्जमाफी को सही नहीं माना है, लेकिन किसान इसको लेकर आंदोलन की राह पर हैं। कई राज्यों में किसानों के आंदोलन सरकारों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं और बड़े वोट बैंक के चलते सरकारें इस तरह की राहत देने की घोषणाएं कर रही हैं।
आरबीआइ पहले अपना सिस्टम तो सुधारे : अजयवीर जाखड़
पंजाब किसान आयोग के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ ने कहा कि आरबीआइ की मुख्य भूमिका संस्थागत बैंक क्रेडिट को सुधारना है जिसमें वह फेल साबित हो रहा है। यह ठीक है कि कर्जमाफी से फसलों की पैदावार पर कोई असर नहीं हुआ है लेकिन किसान बहुत दबाव में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। ऐसी योजनाएं ही उन्हें थोड़ी-बहुत राहत दे रही हैं। आरबीआइ ने किसानों की कर्जमाफी को महंगाई से जोड़ा है लेकिन नोटबंदी के कारण बर्बाद हुए उनके काम की कोई समीक्षा क्या उसने की है?