नदी प्रदूषण मामला: एनजीटी ने सीपीसीबी व पीपीसीबी से छह सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
एनजीटी ने पंजाब में नदियाें में प्रदूषण और ब्यास नदी में चीनी मिल का शीरा गिरने से मछलियों के मारे जाने पर सीपीसीबी व पीपीसीबी से छह सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है।
जेएनएन, चंडीगढ़। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पंजाब में नदियों के प्रदूषित होने और ब्यास नदी में चीनी मिल का शीरा गिरने से मछलियों के मरने के मामले को गंभीरता से लिया है। उसने इस संबंध में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) से छह सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। यह रिपोर्ट आम आदमी पार्टी के विधायक व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा की शिकायत पर मांगी गई है।
खैहरा ने पिछले दिनों ब्यास, सतलुज व लुधियाना के बुड्ढा नाला में जहरीले पानी के मुद्दे को लेकर एनजीटी में शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि बीते सप्ताह गुरदासपुर की चड्ढा शुगर मिल से निकले शीरा ने ब्यास दरिया को प्रदूषित कर दिया। पानी तेजाबी होने से लाखों मछलियां और जीव-जंतु मर गए। उन्होंने आरोप लगाया था कि पंजाब की सभी नदियों व ड्रेनों में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इसलिए पूरे मामले में एनजीटी खुद संज्ञान ले।
एनजीटी ने शिकायत पर संज्ञान लेकर बुधवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी), केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय, पंजाब सरकार व राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया था। वीरवार को मामले की सुनवाई के बाद एनजीटी ने सीपीसीबी व पीपीसीबी को आदेश दिए हैं कि दोनों संयुक्त रूप से टीम बनाकर पंजाब की सभी नदियों और बुड्ढा नाला में प्रदूषण का सर्वे करें। इसकी विस्तृत रिपोर्ट बनाकर छह सप्ताह के अंदर एनजीटी को सौंपी जाए।
सरकार दोषियों को बचा रही : खैहरा
आप नेता सुखपाल खैहरा ने बताया कि इस मामले में पंजाब सरकार कार्रवाई करने की बजाय दोषियों को बचाने में लगी हुई है, लेकिन वह इस मुद्दे को छोड़ने वाले नहीं हैं। यह पंजाब की जनता के भविष्य से जुड़ा हुआ मामला है।