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लापरवाही या गड़बड़ी: सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट से पंजाब पुलिस पर उठे बड़े सवाल

पंजाब में श्री गुरुग्रंथ साहिब से बेअदबी मामले मेें सीबीआइ की क्‍लोजर रिपोर्ट से पंजाब पुलिस सवालों के घेरे में आ गई है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 26 Jul 2019 12:35 PM (IST)Updated: Fri, 26 Jul 2019 12:36 PM (IST)
लापरवाही या गड़बड़ी: सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट से पंजाब पुलिस पर उठे बड़े सवाल
लापरवाही या गड़बड़ी: सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट से पंजाब पुलिस पर उठे बड़े सवाल

चंडीगढ़/मोहाली, जेएनएन। फरीदकोट के बहिबलकलां में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं की जांच कर रही सीबीआइ को मुख्य आरोपित मोहिंदरपाल बिट़टू के खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिला है। सीबीआइ ने मोहाली की विशेष अदालत में जो क्लोजर रिपोर्ट पिछले दिनों दायर की थी उसमें यह दावा किया गया है। क्लोजर रिपोर्ट के तथ्य यदि सही हैैं तो पंजाब पुलिस की न तो एफआइआर सही है और न आरोप साबित हुए हैैं। आरोपितों के फिंगर प्रिंट से लेकर आल्टो कार तक के सुबूत गलत हैैं।

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न एफआइआर सही न आरोप साबित, फिंगर प्रिंट से लेकर आल्टो तक के सुबूत गलत

क्लोजर रिपोर्ट में कहा गया है कि बिट्टू समेत तीन डेरा प्रेमियों का इस केस से कोई लेना देना नहीं है। इन मामलों में न तो कोई प्रत्यक्षदर्शी है और न ही कोई सुबूत मिला है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद पंजाब सरकार की किरकिरी हुई है और आने वाले दिनों में इस पर सियासत गर्मा सकती है। उल्लेखनीय है कि बिट्टïू की कुछ दिनों पहले नाभा जेल में कैदियों ने हत्या कर दी थी।

सरकार की किरकिरी, आने वाले दिनों में गर्मा सकती है सियासत

शिकायतकर्ता के वकील ने सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट की कॉपी हासिल कर ली है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब के फाड़े हुए अंगों से जो फिंगर प्रिंट मिले हैं वे उन पोस्टरों पर लगे फिंगर प्रिंट से मेल नहीं खाते जिन पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब के चोरी होने संबंधी धमकियां दी गई थीं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पुलिस ने गांव में मौजूद छप्पड़ का पानी भी खाली करवा दिया था। आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली गई, बिट़टू व उसके साथियों की मोबाइल टावर लोकेशन की भी जांच की गई, लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा।

पोलीग्राफ टेस्ट में भी बयान सही पाए गए

रिपोर्ट में ग्रंथी गोरा सिंह, उसकी पत्नी सर्वनजीत कौर, गुरमुख सिंह, जसविन्द्र सिंह तथा अमनदीप सिंह के पोलीग्राफ टेस्ट करवाने की भी बात की गई है जो उनके बयानों मुताबिक सही पाए गए। तीनों आरोपितों के भी पोलीग्राफ टेस्ट करवाए गए जो बिल्कुल सही पाए गए।

पुलिस को कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं मिली

रिपोर्ट के मुताबिक गुरुद्वारा साहिब में एक जून 2015 को हुई चोरी संबंधी पुलिस को कोई सीसीटीवी फुटेज हाथ नहीं लगी। न तो गुरुद्वारा साहिब में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे और न ही आसपास कोई ऐसी फुटेज मिली जिस से क्राइम का सीन सामने आ सकता। जो आल्टो कर पुलिस ने एफआइआर में यह बताकर दर्शाई है कि इस कार का इस्तेमाल चोरी के पावन स्वरूप ले जाने के लिए किया गया, वह गलत है। क्योंकि कार की रजिस्टेशन से लेकर तीन बार बेचने तक कि जो हिस्ट्री जांच में सामने आई उसके अनुसार आरोपियों के पास उस समय वह कार होने का सवाल ही नहीं पैदा होता है।

राम रहीम की फिल्म के लिए हुए प्रदर्शन में बिट्टू शामिल था

सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की फिल्म एमएसजी को रिलीज करवाने के लिए हुए प्रदर्शन में मोहिंदर पाल बिट़टू शामिल था, लेकिन श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने में उसका कोई हाथ नजर नहीं आ रहा है। बेअदबी करने संबंधी लगाए पोस्टरों के दौरान हुई हिंसक घटनाओं व प्रदर्शनों का जिक्र सीबीआइ ने रिपोर्ट में किया है, लेकिन यह भी तर्क रखा है कि पंजाब सरकार इन मामलों को वापस लेने के लिए नोटीफिकेशन जारी कर चुकी है।

18 लोगों के टेस्ट करवाए गए

सीबीआइ द्वारा केस से संबंधित विभिन्न लोगों से पूछताछ के अलावा 18 लोगों के अलग अलग टेस्ट भी करवाए गए। यहां तक कि गुरूद्वारा साहिब के ग्रंथी गोरा सिंह तथा उसकी पत्नी सहित कुल पांच लोगों के झूठ पकडऩे वाले टेस्ट भी करवाए गए लेकिन कोई सुराग नहीं लग सका था।

सीबीआइ ने रखा था दस लाख इनाम

सीबीआइ ने बेअदबी की घटनाओं संबंधी सूचना देने वाले व्यक्ति को मई 2016 में दस लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया था, लेकिन आज तक कोई सूचना नहीं मिली। पंजाब पुलिस द्वारा गठित एसआइटी ने आरोपितों को गिरफ्तार किया था, लेकिन कोई चश्मदीद गवाह सामने नहीं आया जिसने किसी को श्री गुरु गं्रथ साहिब के स्वरूप चोरी करते हुए देखा हो।

सरकार ने बनाया था आयोग

पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब की घटनाओं को लेकर गुनाहगारों को सलाखों के पीछे डालने का दावा किया था। इसके लिए सेवानिवृत्त जस्टिस रंजीत सिंह के नेतृत्व में जांच आयोग बनाया। इसकी रिपोर्ट के आधार पर एसआइटी का गठन किया था। जिन केसों की जांच पूर्व की बादल सरकार में सीबीआइ को सौंपी गई थी उसमें उसके हाथ कोई सुबूत न लगने के चलते सीबीआइ ने चार जुलाई को  विशेष अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दायर कर दी।

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