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NCRB Report: पंजाब में ड्रग्स के मामले 40 फीसद घटे, चार्जशीट दाखिल करने में राष्ट्रीय औसत से पीछे

NCRB Report नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में वर्ष 2020 में नशा तस्करी व नशे के प्रयोग के मामलों में काफी गिरावट आई है। वर्ष 2019 के मुकाबले यह गिरावट 40 फीसद है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 09:05 PM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 09:05 PM (IST)
एनसीआरबी की रिपोर्ट में पंजाब में ड्रग्स के मामले गिरे। सांकेतिक फोटो

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। विधानसभा चुनाव 2022 के करीब आते ही पंजाब में नशे का मुद्दा तेजी से गरमा रहा है। विपक्ष के साथ-साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दी गई सील बंद रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए पंजाब सरकार पर दबाव बना रहे हैं। इस बीच, नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि पंजाब में 2020 में नशा तस्करी और नशा प्रयोग करने के मामलों में 2019 के मुकाबले 40 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।

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रिपोर्ट के अनुसार चार्जशीट दाखिल करने के मामले में पंजाब राष्ट्रीय औसत से पीछे है। राष्ट्रीय औसत 85.2 फीसद है, जबकि पंजाब में यह औसत 82 फीसद है। हालांकि हरियाणा की तुलना में पंजाब की स्थिति काफी बेहतर है। हरियाणा में यह औसत 39.8 फीसद है। एनसीआरबी ने यह कॉलम पहली बार शामिल किया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019 में नशा तस्करी और ड्रग्स का प्रयोग करने के मामलों की संख्या 11,536 थी, जो 2020 में गिर कर 6,909 रह गई है। इन मामलों में करीब 40 फीसद की गिरावट आई है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में ड्रग्स तस्करी के 4909 मामले और ड्रग्स का प्रयोग करने के 1870 मामले दर्ज किए गए। 2017 से लेकर 2020 तक पंजाब में एनडीपीएस एक्ट के तहत 41,855 मामले दर्ज हुए। अहम पहलू यह है कि मार्च 2020 में कोविड के कारण पंजाब में कर्फ्यू और पूर्ण लाकडाउन लग गया था। इस बीच भी नशा तस्करी के मामले सामने आते रहे।

विपक्ष का आरोप, जानबूझ कर कम दर्ज हो रहे केस

विपक्ष ने रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कैप्टन सरकार पर निशाना साधा है। विपक्ष का कहना कि एनसीआरबी की रिपोर्ट से साफ हो गया है कि पंजाब सरकार ड्रग्स माफिया के साथ मिल गई है। राज्य में नशा तस्करी के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन केस कम दर्ज हो रहे हैं। गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले ही पंजाब में ड्रग्स का मुद्दा काफी गर्म रहा है। ड्रग्स के मामलों को लेकर बनी फिल्म 'उड़ता पंजाब' पर भी काफी विवाद हुआ था। 2017 के विधानसभा चुनाव में ड्रग्स प्रमुख मुद्दा बनकर उभरा था। तब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गुटका साहिब हाथ में लेकर चार हफ्ते में ड्रग्स की कमर तोडऩे की कसम खाई थी।

सरकार तस्करों को पकड़ेगी नहीं, तो कम ही होंगे केस: शिअद

नशा तस्करी में दर्ज होने वाले मामलों पर शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता डा. दलजीत सिंह चीमा का कहना है कि मामले तो कम हो ही जाएंगे जब सरकार तस्करों को पकड़ेगी ही नहीं। नशे पर सरकार का कंट्रोल खत्म हो चुका है। सरकार और ड्रग्स माफिया मिल चुके हैं।

कोरोना काल में सरकार की शह पर बिका नशा: भाजपा

भाजपा के महासचिव डा. सुभाष शर्मा का कहना है, कोविड के दौरान भी ड्रग्स का कारोबार बेरोकटोक चलता रहा। सरकार की शह पर डिलीवरी होती रही। रोज नशे से मौत होने की सूचनाएं आ रही हैं, लेकिन गुटका साहिब की कसम खाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह की नींद नहीं टूट रही है।

कम एफआइआर कोई मापदंड नहीं: आप

आम आदमी पार्टी के विधायक अमन अरोड़ा का कहना है कि ब्यूरो की रिपोर्ट आंकड़ों पर आधारित है। यह ग्राउंड रिपोर्ट नहीं है। यह तो पुलिस के हाथ में है कि वह कितने केस दर्ज करे या न करे। कम एफआइआर कोई मापदंड नहीं है। जब सरकार को यह बताना हो कि पंजाब में नशा तस्करी के मामले कम हो गए तो वह केस कम दर्ज करती है। ड्रग्स पंजाब का बड़ा मुद्दा है और रहेगा।


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