नवजोत सिद्धू ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में फिर फंसाया पेंच
स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब के तीन शहराें जालंधर, लुधियाना और अमृतसर के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में पेंच फंसाने की तैयारी में हैं।
चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। जालंधर, अमृतसर व लुधियाना के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में फिर पेंच फंस गया है। यह पेंच स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने फंसाया है। निकाय विभाग प्रोजेक्ट के तहत तैनात होने वाले सीईओ की पावर निगम कमिश्नरों को देने की तैयारी कर रहा है। केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर रखी गई प्रमुख शर्तों के अनुसार सीईओ पूरी पावर के साथ केवल प्रोजेक्ट पर ही काम करेगा। इसके चलते पहले से ही तीन साल से ज्यादा लेट चल रहे तीनों प्रोजेक्ट खटाई में पड़ सकते हैं।
तीन साल से ज्यादा लेट चल रहे तीनों प्रोजेक्ट पड़ सकते हैैं खटाई में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। लंबी कवायद के बाद प्रदेश में अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में जालंधर, लुधियाना व अमृतसर को इस प्रोजेक्ट के तहत शामिल किया गया था। पूर्व निकाय मंत्री अनिल जोशी कार्यकाल पूरा होने से पहले प्रोजेक्ट की पहली शर्त कंसलटेंट की नियुक्ति को लेकर केवल टेंडर की प्रक्रिया ही शुरू करवा पाए थे। उनके कार्यकाल में ही प्रोजेक्ट आठ महीने लेट हो गया था। इसके बाद कांग्रेस सरकार सत्ता में आई और निकाय मंत्री बने नवजोत सिंह सिद्धू ने दोबारा से टेंडर की प्रक्रिया शुरू करवा दी। नतीजतन प्रोजेक्ट एक साल लेट हो गया।
मौजूदा हालात यह है कि जालंधर व अमृतसर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत निकाय विभाग डेढ़ साल में काम भी शुरू नहीं करवा पाया है। लुधियाना में जरूर 70 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया है और 400 करोड़ रुपये के प्रोजेक्टों की रिपोर्ट तैयार है। 250 करोड़ रुपये के कामों के टेंडर निकाले जा चुके हैं।
केंद्र सरकार की स्पष्ट शर्त है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर सीईओ अलग होगा और वह निकाय विभाग के काम नहीं बल्कि केवल स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्टों पर काम करेगा। निगम कमिश्नर स्मार्ट सिटी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में सदस्य होंगे। अगर निकाय विभाग की चली तो एक बार फिर प्रोजेक्ट का खटाई में पडऩा तय है।
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प्रोजेक्ट एक नजर में
शहर -- प्रोजेक्टों की लागत-- जारी धनराशि
लुधियाना-- 2500 करोड़-- 420 करोड़
जालंधर-- 3000 करोड़-- 50 करोड़
अमृतसर-- 2450 करोड़-- 50 करोड़
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यह मानना है सिद्धू का
स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का मानना है कि सीईओ की बजाय निगम कमिश्नर के अधीन प्रोजेक्ट चले तो ज्यादा सही होगा, क्योंकि कमिश्नर के अधीन पूरा शहर होता है। अभी कमिश्नर अलग तो सीईओ अलग काम कर रहे हैं।
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केंद्र सरकार की यह है शर्त
केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टों में जिन भी शहरों का चयन किया है उनमें यह शर्त सबसे प्रमुख है कि सबसे पहले कंसलटेंट की नियुक्ति की जाएगी। उसके बाद सीईओ की नियुक्ति की जाएगी जो आइएएस अधिकारी होगा। उसका तबादला भी तीन साल से पहले नहीं किया जा सकेगा। अगर निकाय विभाग इन शर्तों का उल्लंघन करता है तो केंद्र प्रोजेक्ट के तहत धनराशि जारी नहीं करेगा।