पीयू छात्र संघ चुनाव के नतीजे पर राष्ट्रीय दलों की नजर, जीत बनाएगी लोस चुनाव के लिए हवा
पंजाब विश्वविद्याल छात्र संघ चुनाव के नतीजे पर राष्ट्रीय दलों की भी निगाह लगी हुई है। इसके नतीजे का अगले लोकसभा चुनाव में उनको लाभ मिलने की उम्मीद है।
चंडीगढ़, [डॉ.सुमित सिंह श्योराण]। पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव इस बार पूरी तरह राष्ट्रीय स्तर की राजनीति का अखाड़ा बन गया। पहली बार पीयू चुनाव पर बड़े नेताओं की नजर है। राष्ट्रीय दल अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पंजाब यूनिवर्सिटी में जीत मिलने पर इसका लाभ राष्ट्रीय स्तर पर लेने की जुगत में हैं। भाजपा हो या कांग्रेस सभी दलों के नेता पीयू छात्र संघ चुनाव में जीत का असर पंजाब व चंडीगढ़ के संग-संग हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में पड़ने की संभावना देख रहे हैं।
भाजपा से लेकर कांग्रेस और अन्य पार्टियों की पंजाब यूनिवर्सिटी चुनाव के नतीजों पर पैनी नजर है। पीयू चुनाव में इस बार एबीवीपी के सरकारी तंत्र के इस्तेमाल को लेकर सीधे एनएसयूआइ,एसएफएस और इनसो छात्र नेताओं ने आरोप लगाए हैैं। मतदान से दो दिन पहले पीयू के गेस्ट हाउस में वोटर्स को रिझाने के लिए खुलेआम डिनर डिप्लोमेसी ने यह साबित कर दिया है। पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र संघ में प्रधान पद की जीत लोकसभा चुनाव में पंजाब,हरियाणा और हिमाचल में राष्ट्रीय पार्टियों के लिए प्लस प्वाइंट बनेगा। पीयू चुनाव का महत्व इस बार से भी समझा जा सकता है,कि कैंडीडेट का पर्चा रद्द होने पर मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट तक पहुंच गया था।
एनएसयूआइ जीती तो राहुल गांधी आएंगे पीयू कैंपस
पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में इस बार सीधा मुकाबला एनएसयूआइ और बीजेपी की छात्र इकाई एबीवीवी के बीच है। सूत्रों के अनुसार पीयू चुनाव में जीत के लिए दिल्ली तक से नेता पूरे चुनाव पर नजर रख रहे हैैं। एनएसयूआई के दिल्ली के छात्र नेता भी कई बार चुनाव में रणनीति तैयार करने के लिए पीयू कैंपस आए। बताया जाता है कि पीयू छात्र संघ चुनाव पर राहुल गांधी ने भी खुद काफी दिलचस्पी दिखाई है।
गौरतलब है कि चार साल पहले पंजाब यूनिवर्सिटी कैंपस में राहुल गांधी के आने के बाद अगले साल एनएसयूआइ ने पहली बार पीयू कैंपस में जीत हासिल की थी। एनएसयूआइ छात्र नेताओं के अनुसार पीयू छात्र संघ चुनाव में जीत के बाद राहुल गांधी खुद पंजाब यूनिवर्सिटी आएंगे।
वीसी पर छात्र राजनीति में दखल पर पहली बार आरोप लगे
पंजाब यूनिवर्सिटी में नए कुलपति प्रो.राज कुमार की नियुक्ति के समय उनका विरोध शुरू हो चुका है। एनएसयूआइ, इनसो, एसएफएस जैसे छात्र संगठनों ने संघ से जुड़े प्रो.राजकुमार की नियुक्ति को लेकर कई दिन वीसी दफ्तर के सामने कड़ा विरोध किया था। उधर दो दिन पहले पीयू स्थित गोल्डन जुबली गेस्ट हाउस में एबीवीपी की ओर से पंजाब के कुछ संघ नेताओं को बुलाकर कैंपेन करवाने और गेस्ट हाउस में वोटर को खाना खिलाने के मामले में सीधे तौर पर पीयू कुलपति पर भी चुनाव में हस्तक्षेप करने के आरोप लगे हैैं। मामले में गठित जांच कमेटी ने पूरे मामले में गोलमोल रिपोर्ट देकर इसे खत्म करने की कोशिश की है।
पीयू में जीत का मनोवैज्ञानिक दबाव
पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव हमेशा से ही प्रतिष्ठिा का विषय बनते रहे हैैं। पीयू छात्र काउंसिल चुनाव ने देश को कई बड़े नेता दिए हैैं। इनमें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से लेकर, राजीव प्रताप रुढ़ी, पवन कुमार बंसल, सत्यपाल जैन,किरण बेदी,पंजाब और हरियाणा के कई बड़े मंत्री शामिल हैैं। लोकसभा या विधानसभा चुनाव वाले सालों में तो पीयू छात्र संघ चुनाव तो सभी राष्ट्रीय पार्टियों के लिए प्रतिष्ठिा का सवाल बन जाता है।
एबीवीपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल, जीते को कई चमकेंगे युवा नेता
छात्र संघ चुनाव में इस बार एबीवीपी संगठन के लिए चुनाव जीतना प्रतिष्ठता का सवाल बन गया है। अगर एबीवीपी इस चुनाव में जीती तो कई युवा छात्र नेताओं के लिए स्टेट और फिर राष्ट्रीय राजनीति में चमकने का शानदार मौका मिल सकता है। लेकिन पूरा सरकारी तंत्र उनके पक्ष में होने के बावजूद अगर हार मिली तो कई नेताओं का राजनीति कॅरियर पर ग्रहण लग सकता है। सूत्रों के अनुसार एबीवीपी नेता पिछले करीब छ महीने से पीयू चुनाव में जीत के लिए जोर लगा रहे हैैं। पंजाब और हरियाणा के कई बड़े नेता लगातार एबीवीपी छात्र नेताओं को जीत के टिप्स देते रहे।