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पंजाब में सामाजिक प्रतिष्ठा व संपत्ति विवादों में तिगुनी हुई आत्महत्याएं, चिंता में सरकार

पंजाब में आत्महत्याओं का बढ़ता आंकड़ा सरकार के लिए चिंता का सबब है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार राज्य में यह ग्राफ बढ़ा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 05 Sep 2020 03:55 PM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2020 03:55 PM (IST)
पंजाब में सामाजिक प्रतिष्ठा व संपत्ति विवादों में तिगुनी हुई आत्महत्याएं, चिंता में सरकार
पंजाब में सामाजिक प्रतिष्ठा व संपत्ति विवादों में तिगुनी हुई आत्महत्याएं, चिंता में सरकार

चंडीगढ़ [कमल जोशी]। कोरोना संकट में पिछले छह महीने में लगातार फिसलती अर्थव्यवस्था के बीच पंजाब में पिछले साल हुई आत्महत्याओं के आंकड़ें सरकार के लिए चिंता का सबब बन सकते हैं। पंजाब में पिछले साल आत्महत्याओं की संख्या में 37.5 प्रतिशत की वृद्धि दर देश में बिहार के बाद सबसे तेज रही है।

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इसमें चौकाने वाली बात यह भी है कि पंजाब में पूरे परिवार द्वारा आत्महत्या के भी 9 मामले सामने आए हैं। देश में ऐसी सामूहिक आत्महत्या के सबसे अधिक केस तमिलनाडुु में 16 घटनाएं, आंध्र प्रदेश में 14, केरल में 11 मामलों के साथ पंजाब इस मामले में चौथे स्थान पर रहा है।

पंजाब ने आत्महत्याओं के मामलों में एक ही साल में 643 मामलों की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2018 में जहां राज्य में कुल 1714 आत्महत्या के मामले सामने आए थे, वहीं इस वर्ष 2357 लोगों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले दर्ज किए गए हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में बीमारियों के वजह से आत्महत्या करने वालों का आंकड़ा सबसे अधिक रहा है। राज्य में आत्महत्या के कुल मामलों में 27.7 प्रतिशत यानि 654 मामले बीमारी की वजह से आत्महत्या करने वालों के हैं। इनमें 514 पुरुष, 139 महिलाएं और 1 ट्रांसजेंडर शामिल हैं। हालांकि पिछले साल के मुकाबले इसमें सुधार आया है। वर्ष 2018 में बीमारी की वजह से राज्य में 722 आत्महत्या के मामले सामने आए थे जो कुल आत्महत्याओं का 42.1 प्रतिशत रहे थे।

इसके अलावा मानसिक राेग की वजह से 551 लोगाें ने आत्महत्या की है, जिसमें 430 पुरुष और 121 महिलाएं है। पिछले वर्ष 607 थे जिसमें 494 पुरुष, 112 महिलाएं और 1 ट्रांसजेंडर था। इस रिपोर्ट से मिलने वाले सामाजिक संकेतों में एक गहरा संकेत यह है कि पंजाब में सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी आने की वजह से आत्महत्या करने वालों की संख्या में एक ही साल में तीन गुणा से ज्यादा वृद्धि हुई है।

साल 2018 में जहां सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस लगने पर कुल 13 आत्महत्या के मामले सामने आए थे वहीं साल 2019 में यह संख्या 322 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 42 पर जा पहुंची। साल 2019 में प्रतिष्ठा के प्रश्न पर 33 पुरुषों और 9 महिलाओं ने आत्महत्या की जबकि इससे पिछले साल यह आंकड़ा क्रमश: 12 और 1 था।

इसी प्रकार संपत्ति विवादों को लेकर भी राज्य में होने वाली आत्महत्याओं का ग्राफ तिगुना से ज्यादा बढ़ा है। वर्ष 2018 में संपत्ति विवादों को लेकर हुई 20 आत्महत्याओं के मुकाबले साल 2019 में ऐसी घटनाओं का आंकड़ा 360 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 72 रहा। इसमें 65 पुरुष और 7 महिलाएं शामिल हैं।

बेरोजगारी की वजह से भी राज्य में आत्महत्याओं का ग्राफ तेजी से ऊपर गया है। साल 2018 में बेरोजगारी की वजह से जहां 26 लोगों ने आत्महत्या की थी वहीं वर्ष 2019 में यह संख्या 284 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 74 हो गई। इनमें 67 पुरुष और 7 महिलाएं शामिल हैं। राज्य में 161 लोगों ने कर्ज या कंगाली की वजह से आत्महत्या की जिसमें 11 महिलाएं भी शामिल हैं।

बढ़ते संपत्ति विवादों और सामाजिक प्रतिष्ठा को लेकर बढ़ती संजीदगी पर समाजशास्त्री डॉ. मंजीत सिंह का कहना है कि समाज में बढ़ते भौतिकतावाद ने उपभोक्तावाद की प्रवृत्ति को बढ़ाया है। यही कारण है कि लोगों के जीवन में भौतिक प्राप्तियों में वृद्धि पर सुकून में कमी आई है। ऐसे में लोगों में अब यह सोच उभारने की जरूरत है कि बढ़ती उपभोक्तावाद की प्रवृत्ति के साथ जीवन मूल्यों को पुन:स्थापित करने की जरूरत है, ताकि लोग अपनी उपभोक्तावादी सोच को सीमित करने का हुनर भी सीखें।


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