नाभा जेल ब्रेक केस : आइपीएस लाबी के दबाव में तिवारी के निलंबन का फैसला पलटा
एडीजीपी जेल एमके तिवारी के निलंबन का फैसला वापस ले लिया गया है। उन्हें नाभा जेल ब्रेक केस में निलंबित किया गया है। उनके निलंबन के खिलाफ आइपीएस लॉबी एक हो गई थी।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : नाभा जेल ब्रेक कांड में एडीजीपी जेल एमके तिवारी के निलंबन को आइपीएस लाबी के दबाव व डीजीपी के जोरदार विरोध के चलते सरकार ने वापस करने का फैसला ले लिया है। जेल ब्रेक कांड के तत्काल बाद डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल ने एडीजीपी जेल को निलंबत कर दिया था। पंजाब में यह पहला हाई प्रोफाइल मामला है जब किसी आइपीएस अधिकारी को 15 दिनों के अंदर निलंबित करने के फैसले को सरकार ने वापस लिया हो।
विधानसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू होने से पहले सूबे की आईपीएस अधिकारियों की सियासत में उलझी सरकार फिलहाल इनसे पंगा लेने के मूड में नहीं हैं। नाभा जेल पर हमला कर केएलएफ सरगना हरमिंदर मिंटू सहित पांच खूंखार गैंगस्टर्स के फरार होने कि मामले में अभी मिंटू को छोड़कर पुलिस के हाथ खाली हैं। पुलिस ने केवल मास्टर माइंड व हमले में मददगार छह लोगों को गिरफ्तार कर अपनी पीठ थपथपा ली, जबकि असली आरोपी पुलिस की पकड़ से दूर हैं।
नाभा जेल ब्रेक कांड के बाद निलंबित किए गए एमके तिवारी के मामले को लेकर हिंदू संगठनों ने भी विरोध करना शुरू कर दिया था कि नाभा से दूर हेडक्वाटर में बैठे एडीजीपी का इस मामले में क्या रोल हो सकता है। सरकार का यह फैसला गलत है। इसके बाद जांच को लेकर गठित एसआईटी ने दिसंबर के पहले सप्ताह में डीजीपी सुरेश अरोड़ा को अपनी दोबारा विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में भी तिवारी को क्लीन चिट दिए जाने की पुष्टि पुलिस के सूत्र कर रहे हैं।
डीजीपी दफ्तर के सूत्रों की माने तो पहले ही दिन से डीजीपी खुद सरकार के इस फैसले के विरोध में थे। उन्होंने रिपोर्ट आने के बाद अपने कमेंट के साथ सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें एडीजीपी के निलंबन को रद करने की वकालत डीजीपी ने की थी। इसी के मद्देनजर सरकार ने बीते दिनों से तिवारी का निलंबन रद करने का फैसला करके एक तीर से दो निशाने साध लिए हैं।
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आइपीएस अधिकारियों को एडीजीपी व डीजीपी प्रमोट करने की तैयारी
राज्य सरकार कुछ आइपीएस अधिकारियों को एडीजीपी व डीजीपी के पदों पर प्रमोट करके पूरी लॉबी को खुश करने के मूड में है। इसे लेकर सरकार ने इसी सप्ताह 15 दिसंबर को बैठक भी रखी है। उम्मीद है कि बैठक में 1992 बैच के आइपीएस अधिकारियों को प्रमोट करके एडीजीपी का रैंक देने की तैयारी में है। इस समय 92 बैच के पांच अफसरों की तैनाती पंजाब में है, इनके मामले में बस अमली जामा पहनाया जाना बाकी है।
इसके मद्देनजर आइपीएस अधिकारियों के एक ग्रुप ने डिप्टी सीएम के अधिकारों का इस्तेमाल करवा कर 1987 बैच के चार अधिकारियों को एडीजीपी से प्रमोट कर डीजीपी का रैंक देने की वकालत शुरू कर दी है। हरप्रीत सिंह सिद्धू, गौरव यादव व कुलदीप सिंह को एडीजीपी बनाए जाने को लेकर बैठक में मोहर लगाई जा सकती है।
अब प्रमोट हो सकते हैं तिवारी
तिवारी 1987 बैच के आइपीएस अफसर हैं। मैकेनिकल इंजीनियरिंग व पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन में पोस्ट ग्रेज्युएट तिवारी भी प्रमोशन की लिस्ट में शामिल हैं। देखना है कि उनका निलंबन वापसी के बाद सरकार उनके प्रमोशन को लेकर क्या रुख अख्तियार करती है। 87 बैच के 4 अधिकारियों में तिवारी भी शामिल हैं। आईपीएस लाबी का मानना है कि जब जेल ब्रेक मामले में तिवारी की संलिप्तता नहीं पाई गई है और सरकार ने उनका निलंबन रद कर दिया है तो उनके प्रमोशन को क्लीन चिट देने में क्या बुराई है। तिवारी 28 फरवरी 2022 को रिटायर होंगे।
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