मेरे माता-पिता टीचर हैं, ऐसे में टीचर का दुख समझता हूं
शिक्षा का स्तर, हमारे समाज की सोच को बनाता है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : शिक्षा का स्तर, हमारे समाज की सोच को बनाता है। अगर शिक्षा में धांधली होगी तो यकीनन नई पीढ़ी की सोच भी विकसित नहीं होगी। मगर शिक्षा को सुधारने के लिए दी चीजें बहुत जरूरी है, एक तो सरकारी तंत्र और टीचर्स के लिए बनाई जाने वाली पॉलिसी। मेरे माता-पिता खुद अध्यापक हैं, ऐसे में मैं एक टीचर का दुख समझ सकता हूं। गायक अमृत मान ने कुछ इन्हीं शब्दों में पंजाब में एजुकेशन सिस्टम पर बात की। वह अपनी फिल्म दो दुनी पंज के लिए शहर में थे। फिल्म में वह एक ऐसे शख्स का किरदार निभा रहे हैं, जो अपनी पढ़ाई को निरर्थक समझ कर, कॉलेज से अपनी फीस वापस करने की मांग करता है। अमृत ने कहा कि इस फिल्म का चुनाव ही उन्होंने इसलिए किया, क्योंकि ये एक सही संदेश को देने के लिए बनाई गई है। हमारा एजुकेशन सिस्टम, जिसमें सुधार की बहुत गुंजाइश है। इसके अलावा देश में नौकरी का होना भी बहुत ¨चता का विषय है। युवा इतनी पढ़ाई करते हैं, 15 घंटे तक मेहनत करते हैं, आखिर में उनके हाथ क्या लगता है? ऐसे में इस तरह की फिल्म का बनना अहम है। पढ़ाई से खास वास्ता नहीं रहा मगर ये बहुत जरूरी है
अमृत ने कहा कि उनके घर में दो टीचर हैं, मगर फिर भी उन्हें पढ़ाई से ज्यादा लिखने का शौक रहा था। इंजीनिय¨रग करने के बावजूद भी लिखने में ही अपना करियर बनाया। गायिकी तो इसके बाद आई। अब एक्टर बन गया हूं, तो ऐसे में इसको भी एंजॉय कर रहा हूं। हालांकि फिर भी मेरा मानना है कि पढ़ाई एक इंसान को बेहतर बनाती है। हमें अच्छे कलाकार की तरह समाज में अच्छे इंसान की भी जरूरत है। जो केवल अच्छे एजुकेशन सिस्टम से ही मुमकिन है। लोग जैसा चाहेंगे गायक वैसा ही गाएगा..
पंजाबी गीतों पर अकसर लड़कियों पर कमेंट कसने या दारू की ही बात होती है, पर अमृत बोले कि दरअसल इन दिनों लोग पसंद ही ऐसे गीत करते हैं। मुझे याद है जब मेरा गीत पग्ग दी पूणी आया, तो बहुत कम लोगों को इस बारे में पता चला पाया। हालांकि इसे मैंने बहुत दिल से गाया। अफसोस होता है कि अभी भी मुझे लोगों को इस गीत के बारे में बताना पड़ता है। हालांकि मेरे अन्य गीत लोगों ने बहुत चाव से सुने। मेरी अपील है लोगों से की वो ऐसे गीतों को भी बराबर प्यार दें, ताकि एक गायक ऐसे गीत भी गाए।