मुद्दा
::हाईलाइटर्स:: -25 हजार कर्मचारियों को देना पड़ सकता है पूरे भत्तों के साथ पिछले दो स
::हाईलाइटर्स::
-25 हजार कर्मचारियों को देना पड़ सकता है पूरे भत्तों के साथ पिछले दो साल का वेतन
-2015 के कर्मचारी शामिल किए गए तो 6 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा भुगतान
-1586 करोड़ रुपये कम टैक्स आया जीएसजी सिस्टम लागू होने के बाद
-6200 करोड़ रुपये विभिन्न तरह की सब्सिडी पर खर्च कर रही सरकार
-31 हजार करोड़ रुपये के कर्ज के कारण बिगड़े हालात
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आर्थिक मोर्चे पर बिगड़ी सरकार की सेहत
कॉमन इंट्रो..
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की ओर से विभिन्न सरकारी महकमों में प्रोबेशन पर नियुक्त किए गए कर्मचारियों को बेसिक पे देने की शर्त को खारिज कर दिया है। पिछले हफ्ते हाईकोर्ट की ओर से इस फैसले से सरकारी खेमे में खलबली मच गई है। कारण है कि पिछले तीन वर्षो में विभिन्न महकमों, बोर्ड कारपोरेशनों के दफ्तरों में काम कर रहे ऐसे 25 हजार कर्मचारियों को यदि पूरे भत्तों के साथ पिछले दो साल का वेतन देना पड़ गया, तो सरकार की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर जाएगी।
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खजाने पर बढ़ता बोझ
प्रदेश सरकार ने अभी 25 हजार कर्मचारियों को पूरे भत्तों के साथ पिछले दो साल का वेतन देने का आकलन नहीं किया है कि यदि ऐसा होता है तो खजाने पर कितना बोझ पड़ेगा? जानकार कह रहे हैं कि यदि 2015 के कर्मचारी भी लगा लिए जाएं तो भी यह 6 हजार करोड़ रुपये से कम नहीं होगा। पुलिस और शिक्षा विभाग में ही पिछले तीन सालों में बीस हजार से ज्यादा कर्मचारी भर्ती किए गए हैं। इसके अलावा अन्य महकमे, बोर्ड और कारपोरेशन के कर्मचारी अलग से भर्ती हुए हैं। पंजाब अधीनस्थ सेवाएं बोर्ड ने भी पांच हजार कर्मचारी भर्ती किए हैं। सरकार ने भी इस आदेश पर पुनर्विचार याचिका दायर की हुई है। पर सवाल यह है कि आर्थिक संकट से जूझ रही पंजाब सरकार क्या इसका हल निकालने के लिए राज्य के दूसरे वर्गो पर बोझ डालेगी? क्यों बिगड़ रही है आर्थिक स्थिति ?
राज्य की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है। सरकार को नए टैक्स स्टिम जीएसटी से बहुत उम्मीद थी लेकिन राज्य सरकार इस उम्मीद पर खरी नहीं उतर पाई है। सरकार को वैट सिस्टम से जितना टैक्स आता था, जीएसटी से 1586 करोड़ रुपये कम आए हैं। वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने यह मुद्दा जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में भी उठाया था और उनसे आग्रह किया कि चूंकि पंजाब में सबसे ज्यादा खपत है इसके बावजूद टैक्स कलेक्शन क्यों गिरी ? इस पर एक स्टडी करवाई जाए? पता चला है कि पिछले दिनों केंद्र सरकार के सेक्रेटरी रेवेन्यू डॉ हंसमुख आढिया पंजाब आए थे और उन्होंने वित्तमंत्री मनप्रीत बादल समेत तमाम वित्त, टैक्सेशन और सीएमओ के अधिकारियों से बात करके आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार यह पता लगाने का प्रयास करेगी कि आखिर रेवेन्यू कलेक्शन में कमी क्यों आई है? अनियंत्रित होती सब्सिडी
जहां सरकार की आमदनी में कमी आ रही है वहीं, वोट बैंक की राजनीति को बनाए रखने के लिए दी जा रही सब्सिडियां भी अनियंत्रित हो गई हैं। किसानों को बिजली के लिए दी जाती 6200 करोड़ की सब्सिडी, अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग को दी जातीं 1500 करोड़ की बिजली सब्सिडी को सरकार तर्क संगत नहीं बना पा रही है। इनको नियंत्रित करने में केवल जुबानी जमा खर्च हो रहा है। कैप्टन सरकार अभी तक यह फैसला भी नहीं ले पाई कि जे-पॉल की योजना के अनुसार क्या बिजली सब्सिडी किसानों को सीधे उनके खातों में दी जानी चाहिए कि नहीं? 31 हजार करोड़ के कर्ज ने तोड़ी कमर
फूडग्रेन के सालों से लंबित अकाउंट को पूर्व अकाली भाजपा सरकार ने जाते जाते स्पेशल टर्म लोन में कन्वर्ट करवा लिया जिसने पंजाब सरकार की बची खुची आर्थव्यवस्था की कमर भी तोड़ दी। पूर्व वित्तमंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा ने इस लोन को कन्वर्ट करते समय दावा किया था कि केंद्र सरकार इस लोन के 18 हजार करोड़ रुपये के तीन हिस्से करने पर मान गया है। यानी पंजाब सरकार को 12 हजार करोड़ रुपये के कर्ज पर लगे 18 हजार करोड़ ब्याज का केवल तीसरा हिस्सा, यानी 6000 करोड़ ही अदा करना होगा, लेकिन अब डेढ़ साल बीतने और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और वित्तमंत्री मनप्रीत बादल की ओर से बार-बार केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटाने के बावजूद कोई राहत नहीं मिल रही है। इस कर्ज की हर साल 3270 करोड़ रुपये किश्त जा रही है। अगर यह किश्त अदा न करनी हो तो न केवल सभी 25 हजार कर्मचारियों को पूरे स्केल पर वेतन दिया जा सकता है या फिर 19.5 लाख आश्रित, बुढ़ापा और विधवाओं को 6 साल तक बिना रुके 750 रुपये महीना पेंशन दी जा सकती है।
4800 करोड़ रुपए के बिल लंबित
खजाने की हालत यह हो गई है कि 4800 करोड़ रुपये के विभिन्न महकमों के बिल खजाने में लंबित हैं। सड़कों का निर्माण करने वाले ठेकेदारों को लंबित बिलों का भुगतान करवाने के लिए हाईकोर्ट का सहारा लेना पड़ रहा है। सबसे महंगा पेट्रोल, सबसे महंगी बिजली और शराब
पंजाब में पेट्रोल, बिजली और शराब पूरे देश में सबसे महंगी है। यदि बिजली को छोड़ दिया जाए तो इसी महंगी दरों के चलते पड़ोसी राज्यों से पेट्रोल और शराब की जमकर तस्करी होती है। चंडीगढ़, हरियाणा और हिमाचल में पैट्रोल सस्ता होने के कारण पेट्रोल का सारा रेवेन्यू इन राज्यों में जा रहा है। नॉन रेवेन्यू टैक्स पर नजर
जीएसटी और रेवेन्यू विभाग से ज्यादा आमदनी न आने के कारण अब आमदनी बढ़ाने का सारा दबाव नॉन टैक्स रेवेन्यू पर बढ़ने लगा है। यानी स्कूलों, अस्पतालों, रेवेन्यू विभाग समेत विभिन्न विभागों में लगाई गई फीसों में वृद्धि करके इस आमदनी को बढ़ाया जाएगा। चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह ने विभागों के प्रमुख सचिवों और प्रशासनिक सचिवों को इसका मसौदा तैयार करके भेजने को कहा है।
यह है वित्तीय स्थिति
पंजाब इन दिनों गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रहा है। खासतौर पर 3270 करोड़ रुपये का बोझ उस 31 हजार करोड़ रुपये का पड़ गया है जो पूर्व सरकार ने फूड अकाउंट के नाम पर सरकार पर डाल दिया। इसके अलावा 16260 करोड़ रुपये का ब्याज पंजाब के सिर चढ़े 2.11 लाख करोड़ रुपये का जा रहा है। यही नहीं, जीएसटी से जो 21440 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया था उसमें से भी 1586 करोड़ रुपये कम मिलने की उम्मीद है, क्योंकि उम्मीद के मुताबिक सरकार को जीएसटी से रेवेन्यू नहीं आ रहा है।
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-प्रस्तुति: इन्द्रप्रीत सिंह