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DGP मामले पर मोहम्मद मुस्तफा को Supreme Court से नहीं मिली राहत, हस्तक्षेप से किया इन्कार

STF के DGP रह चुके IPS अफसर मोहम्मद मुस्तफा को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने DGP नियुक्ति मामले में हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 01:38 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 08:08 PM (IST)
DGP मामले पर मोहम्मद मुस्तफा को Supreme Court से नहीं मिली राहत, हस्तक्षेप से किया इन्कार

जेएनएन, चंडीगढ़। STF के DGP रह चुके IPS अफसर मोहम्मद मुस्तफा को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। वह अपने से जूनियर दिनकर गुप्ता को पंजाब का DGP बनाए जाने से नाराज चल रहे हैैं। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने गुप्ता की नियुक्ति खारिज कर दी थी, लेकिन इस फैसले पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट गए थे।

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हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ DGP मुस्तफा की एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार ने UPSC द्वारा राज्य को भेजे नामों के पैनल में से दिनकर गुप्ता को DGP नियुक्त किया था। हाई कोर्ट द्वारा इस मामले में जारी अंतरिम आदेशों में हस्तक्षेप करने से सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन्कार करने पर मुस्तफा के वकील पीएस पटवालिया ने अपनी याचिका वापस ले ली।

सुप्रीम कोर्ट में मुस्तफा की याचिका पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस अबुल नजीर की खंडपीठ ने कहा कि हाई कोर्ट ने इस मामले पर अंतरिम आदेश दिए हैं। अगली सुनवाई 26 फरवरी, 2020 को हाई कोर्ट में होनी है। पटवालिया ने कहा कि पंजाब सरकार इस मामले को लटकाने का प्रयास कर रही है। इस पर जवाब देते हुए अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया केके वेणुगोपाल और पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने अदालत को बताया कि पंजाब सरकार इस मामले में हाई कोर्ट में बहस करने को तैयार है।

मुस्तफा ने अपनी याचिका में मुख्यतया हाई कोर्ट द्वारा कैट के फैसले पर रोक के साथ अगली सुनवाई के लिए दी गई लंबी तारीख पर सवाल उठाए थे। याचिका में उन्होंने कहा था कि वह फरवरी 2021 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं और प्रकाश सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार DGP पद पर नियुक्ति के लिए आवेदक अधिकारी का न्यूनतम बचा हुआ कार्यकाल छह माह होना चाहिए। उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अगर हाई कोर्ट में यह विवाद जारी रहता है तो याचिकाकर्ता अगस्त, 2020 के बाद DGP पद की चयन प्रक्रिया से वंचित हो जाएंगे।

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