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स्लम एरिया के12 गोल्फर की मदद के लिए आगे आया मोहाली गोल्फ रेंज

मोहाली गोल्फ रेंज सेक्टर-65 ने शहीद भगत सिंह नगर के राहों गांव के 12 गरीब खिलाड़ियों को मुफ्त कोचिग व हरसंभव मदद देने का ऐलान किया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 10:03 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 10:03 PM (IST)
स्लम एरिया के12 गोल्फर की मदद के लिए आगे आया मोहाली गोल्फ रेंज
स्लम एरिया के12 गोल्फर की मदद के लिए आगे आया मोहाली गोल्फ रेंज

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : मोहाली गोल्फ रेंज सेक्टर-65 ने शहीद भगत सिंह नगर के राहों गांव के 12 गरीब खिलाड़ियों को मुफ्त कोचिग व हरसंभव मदद देने का ऐलान किया है। अर्जुन अवॉर्डी हरमीत सिंह काहलों ने कहा कि हम खेल को प्रमोट करने के लिए हर तरह की मदद देने को तैयार हैं। कर्नल बाजवा जब भी कनाडा जाएं वह इन खिलाड़ियों की जिम्मेदारी हमें सौंप सकते हैं हम इन खिलाड़ियों को इंटरनेशनल स्तर की कोचिग देंगे। गौरतलब है कि नवांशहर के राहों गांव के इन खिलाड़ियों को रिटायर्ड कर्नल हरचरन सिंह बाजवा ने गोल्फ स्टिक थमाई है। बाजवा इन बच्चों को न सिर्फ गोल्फ सिखा रहे हैं बल्कि इन्हें खेल-खेल में भविष्य का चैंपियन बनाने की भी तैयारी कर रहे हैं। 12 स्लम एरिया के बच्चों को दे रहे हैं कोचिग

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कर्नल बाजवा ने स्लम एरिया से 12 बच्चों को चयनित किया है। इन बच्चों को पहले अपने कंप्यूटर सेंटर पर कंप्यूटर सिखाते हैं, उसके बाद शाम को शहर के दशहरा ग्राउंड में इन्हें गोल्फ की ट्रेनिग दी जाती है। इतना ही खिलाड़ियों को बढि़या कोचिग मिले, इसके लिए बाजवा ने हरिदर सिंह को बतौर मैनेजर रखा है, जबकि ओम प्रकाश खिलाड़ियों को बतौर ट्रेनर रखा है। यह मिलकर मजूदर परिवारों से संबंध रखने वाले बच्चों को रोजाना तीन घंटे गोल्फ की ट्रेनिग देते हैं। यह गोल्फर अब टूर्नामेंट में ही लेने लगे हैं हिस्सा

बाजवा बताते हैं कि अभी बच्चों को ट्रेनिग देते हुए दो से ढ़ाई महीने हुए हैं, लेकिन इन खिलाड़ियों ने मेडल जीतना शुरू कर दिया। पिछले साल 22 दिसंबर को खन्ना के दिल्ली पब्लिक स्कूल में आयोजित दूसरी जूनियर ओपन गोल्फ टूर्नामेंट में उनके खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया। यह खिलाड़ी भी अब गोल्फ खेलने में रूचि दिखाने लगे हैं। यह बच्चे अब स्कूल से वर्दी में ही उनके पास पहुंच जाते हैं। अभी तैयार करूंगा और इंफ्रास्ट्रक्चर

कर्नल बाजवा ने बताया कि उनके परिवार के सदस्य कनाडा में रहते हैं, लेकिन उनका दिल अपने ही गांव में लगता है। यह सब बच्चे क्रिकेट खेलते थे, ऐसे में इन्हें गोल्फ से जोड़ने के लिए शुरुआत में मैंने दो लाख रुपये खर्च किए, इसके अलावा अन्य खर्चे भी मैं अपनी जेब से ही करता हूं। इन बच्चों के उत्साह को देखकर मेरा हौसला भी बढ़ रहा है, अब मैं इसके लिए और इंफ्रास्ट्रकचर तैयार करने की सोच रहा हूं। इन गोल्फर की मदद के लिए उनके पूर्व साथी व अन्य लोग भी आगे आ रहे हैं।


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