मोहाली नगर निगम के अफसरों ने सीवर लाइन प्रोजेक्ट में किया डेढ़ करोड़ का घपला : कुलवंत
मोहाली के विधायक कुलवंत सिंह ने नगर निगम के अधिकारियों पर सीवर लाइन प्रोजेक्ट में करीब डेढ़ करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया है। विधायक ने इसके लिए विजिलेंस जांच की मांग की है।
जासं, मोहाली : मोहाली के विधायक कुलवंत सिंह ने नगर निगम के अधिकारियों पर सीवर लाइन प्रोजेक्ट में करीब डेढ़ करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया है। विधायक ने इसके लिए विजिलेंस जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि साल 2020 में योजना के तहत मोहाली में सीवरेज लाइन के नवीनीकरण के प्रोजेक्ट में नगर निगम के अधिकारियों ने घपला किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान को चिट्ठी लिखकर विजिलेंस की जांच कराने की मांग की है।
17 जून को पंजाब के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में विधायक कुलवंत सिंह ने कहा है कि नगर निगम के अधिकारियों ने बिना किसी कारण के 975.42 लाख रुपये के पास प्रोजेक्ट में लगभग डेढ़ करोड़ का घपला किया। जबकि पहले ही अलाट हो चुके इस प्रोजेक्ट के टेंडर में बढ़ोतरी करने का कोई कारण नहीं था। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट की डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) में हर वह काम शामिल था, जिसको नगर निगम के अधिकारियों ने अनावश्यक 1.5 करोड़ तक बढ़ा दिया। उन्होंने सवाल किया कि जब काम का दायरा सामान था तो बजट क्यों बढ़ाया गया? विधायक कुलवंत सिंह ने कहा कि अधिकारियों की मनमानी के कारण ऐसा हुआ है। 48 इंच की सीवर लाइन का प्रोजेक्ट 975.42 लाख का पास किया गया था, पर बाद में मेयर जीती सिद्धू के कार्यकाल में इस प्रोजेक्ट का पैसा बढ़ाने के लिए फेज-3बी2 व फेज-5 की मिट्टी की किस्म, इसके रास्ते में पड़ते चौराहे व इंटर सेक्टरों के कारण पहले इस बजट को 975.42 लाख से बढ़ाकर 1110.48 लाख किया गया। मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी में उन्होंने कहा कि नई सीवर लाइन को बिछाने का मकसद फेज-3बी2, 5 और 7 के गंदे पानी को इस लाइन में डायवर्ट करना है जो अभी भी लखनौर चौक में बह रही है। उन्होंने कहा कि तथ्यों से पता चलता है कि इस प्रोजेक्ट के साथ जुड़े सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही सरकारी खजाने से अतिरिक्त धन की हानि हुई। उन्होंने आरोप लगाया यह प्रोजेक्ट अब भी अधर में लटका है, जिस कारण मोहाली के लोगों का आवागमन प्रभावित हो रहा है। धूल और गंदगी से बरसात में लोग डेंगू के प्रकोप का भी शिकार हो रहे हैं। अगर विजिलेंस जांच होती है तो अच्छी बात है। दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा, लेकिन काम नियमों अनुसार ही हुआ है।
- कुलजीत सिंह बेदी, डिप्टी मेयर नगर निगम ।