कैप्टन अमरिंदर के मिशन-2022 को झटका, अब पीके की जगह तलाशना होगा नया रणनीतिकार
प्रशांत किशोर के 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने से इंकार के बाद कैप्अन अमरिंदर सिंह के लिए बड़ी दुविधा पैदा हो गई है। उनको पीके का विकल्प तलाशना हाेगा।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। वर्ष 2017 में कांग्रेस की नैया को किनारे लगाकर विधानसभा चुनाव में जीत दिलाने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इस बार मुंह मोड़ दिया है। प्रशांत किशोर 2022 में होनेवाले पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस कर रणनीति तैयार करने से साफ मना कर दिया है। पीके ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के ऑफर को साफ ठुकराकर उनके लिए दुविधा खड़ी कर दिया है। कैप्टन अमरिंदर को अब पीके का विकल्प तलाशना होगा और यह उनके व कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी।
पीके ने 2017 में चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में कांग्रेस की नैया को पार लगाया था
प्रशांत किशोर ने साफ कर दिया है कि इस बार वह पंजाब में कांग्रेस के लिए काम नहीं करना चाहते। दो दिन पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दावा किया था कि पीके उनके पारिवारिक मित्र हैं और उन्होंने कहा है कि वह पंजाब में काम करने को तैयार हैं। इसके बावजूद जिस तरह पीके ने अमरिंदर के दूत के रूप गए उनके दोहते को दो टूक इन्कार किया उससे कई सवाल पैदा हो गए हैैं। इससे कैप्टन अमरिंदर का गणित बिगड़ गया है।
कांग्रेस के लिए टुकड़ों में काम नहीं करना चाहते प्रशांत किशोर
पूरे प्रकरण में यह सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि प्रशांत किशोर पंजाब में कांग्रेस के लिए काम नहीं करना चाहते? इसका जवाब भी उन्होंने खुद ही दिया है। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के लिए टुकड़ों में काम नहीं करना चाहते। साफ है कि वह पार्टी के लिए काम करें या न करें, इसका फैसला वह पार्टी हाईकमान से चाहते हैं न कि कोई सीएम व्यक्तिगत तौर पर उनके साथ अपने राज्य के लिए समझौता करे।
दो दिन पहले जब कैप्टन अमरिंदर सिंह से इस बारे में पूछा गया था, तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब में पीके पर फैसला उन पर छोड़ा है। गौरतलब है कि प्रशांत किशोर से संपर्क करने से पहले कैप्टन अमरिंदर ने अपने 80 विधायकों से पूछा था कि वे पीके की सेवाएं लेना चाहते हैं या नहीं। इनमें से 55 विधायकों ने पीके के हक में हामी भरी। अब पीके के पीछे हटने से मुख्यमंत्री को प्रशांत किशोर का विकल्प तलाशना होगा या फिर पार्टी हाईकमान को ही यह फैसला लेना होगा कि हर राज्य में चुनावी रणनीति प्रशांत से ही तैयार करवाई जाए।
सरकार की वादाखिलाफी भी इन्कार का कारण
प्रशांत किशोर पंजाब में इसलिए भी काम नहीं करना चाहते, क्योंकि 2017 के चुनाव में उन्होंने जो वादे लोगों से किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कैप्टन और उनके सीनियर अधिकारियों को भी अवगत करवा दिया है। सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर ने तब पूर्व मुख्य सचिव केआर लखनपाल की अगुवाई में बनी कमेटी के कहने पर ही किसानों की कर्ज माफी, घर-घर रोजगार, आटा-दाल के साथ चीनी और चाय पत्ती देने जैसे वादे किए थे, लेकिन इनमें से कुछ पूरे नहीं किए गए। ऐसे में प्रशांत किशोर को लगता है कि वह किस तरह फिर पंजाब के लोगों का सामना करेंगे।
आगे दिख रही आम आदमी पार्टी को धकेला था बैकफुट पर
कैप्टन अमरिंदर सिंह को पीके पर इसलिए भी ज्यादा भरोसा है, क्योंकि 2016 में जब पंजाब में आम आदमी पार्टी की 'लहर' चल रही थी, तब उन्होंने अपनी रणनीति से पासा पलट दिया था। प्रशांत किशोर ने कैप्टन के प्रचार की कमान संभाली और आम आदमी पार्टी की गलतियों को कांग्रेस के लिए हथियार बनाया।
आम आदमी पार्टी ने विधानसभा में अपना चुनाव घोषणा पत्र जारी किया तो उसमें श्री हरमिंदर साहिब की फोटो के साथ अपने चुनाव निशान झाड़ू की फोटो छापी। प्रशांत किशोर ही थे, जिन्होंने इसे इतना बड़ा मुद्दा बनाया, जिससे आम आदमी पार्टी बैकफुट पर आना शुरू हो गई।
इसके बाद अरविंद केजरीवाल का मोगा में एक पूर्व आतंकवादी के घर पर रुकना और मौड़ मंडी ब्लास्ट जैसी घटनाओं को धार देकर प्रशांत किशोर ने आप की आगे बढ़ रही चुनावी यात्रा को रोक दिया और कांग्रेस पंजाब के इतिहास में सबसे ज्यादा 77 सीटें लेकर पंजाब की सत्ता दोबारा में पहुंची। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर को प्रशांत किशोर से 2022 में कुछ इसी प्रकार के प्रदर्शन की उम्मीद थी।
ममता व स्टालिन के लिए कर रहे काम
प्रशांत किशोर इस समय जहां पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। तामिलनाडु में वह डीएमके के एमके स्टालिन के लिए काम कर रहे हैं। इन दोनों राज्यों में अगले साल चुनाव हैं।
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