मीडिया कर्मी भी उच्च रक्तचाप का शिकार
दूसरे आगे रहने की चाह ने आज लोगों को गंभीर बीमारियों ने घेर लिया है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : दिनभर के व्यस्त शेड्यूल और एक दूसरे आगे रहने की चाह ने आज लोगों को गंभीर बीमारियों ने घेर लिया है। इसी लाइन में मीडिया कर्मी भी शामिल हो गए हैं। विश्व उच्च रक्तचाप दिवस 2020 से पहले 41 मीडिया कर्मियों पर पीजीआइ के किए हुए एक अध्ययन मे सामने आया कि 50 प्रतिशत मीडिया कर्मी भी आज उच्च रक्तचाप का शिकार हैं। पीजीआइएमईआर के सामुदायिक चिकित्सा और स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ विभाग द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि 76 प्रतिशत प्रतिभागियों का बीएमआइ, बॉडी मास इंडेक्स, मोटापे और तनाव की श्रेणी में था। इसमें ज्यादातर पुरुष हैं। प्रेस क्लब डॉ. सोनू गोयल और डॉ. अमरजीत सिंह के नेतृत्व में मार्च में उच्च रक्तचाप के लिए स्क्रीनिग का एक पायलट अध्ययन मीडिया कर्मियों की राज्य स्तरीय कार्यशाला में मीडिय कर्मी की उच्च रक्तचाप, साइलेंट किलर से मुकाबला का आयोजन किया गया था। अध्ययन का उद्देश्य मीडिया कर्मियों की स्क्रीनिग करना और उच्च रक्तचाप वाले लोगों को ढूंढ़ना था। मीडिया कर्मियों के बीच उच्च रक्तचाप के स्तर से जुड़े कारकों का पता लगाना रहा। नमूने के आकार की नहीं की गई गणना
अध्ययन से पहले नमूना लेकर उसके आकार की गणना नहीं की गई थी। इसके लिए उनसे एक साक्षात्कार, ऊंचाई, वजन, रक्तचाप, बीपी और ब्लड शुगर लेवल को मापा गया था। प्रतिभागियों को उनके वर्तमान रक्तचाप के स्तर और उच्च रक्तचाप की स्थिति के आधार पर रंग कोडित कार्ड दिए गए थे। इसके बाद डाटा को क्लेक्ट कर अध्ययन किया गया। डॉक्टरों ने अध्ययन में पाया कि उच्च रक्तचाप के कुल 10 प्रतिभागियों की इतिहास उच्च रक्तचाप का रहा है। उनमें से 50 प्रतिशत अध्ययन के दिन मापा गया जिनका रक्तचाप स्तर नियंत्रण में था और 50 प्रतिशत अनियंत्रित उच्च रक्तचाप से पीड़ित रहे।