दीमक लगे पेड़ों को बचाने लिए उठाए जाएं कदम, निगम ने वन विभाग को लिखा पत्र Chandigarh News
शहर के हरे भरे पेड़ों को दीमक लग रहा है जिस कारण वह कमजोर हो रहे हैंलेकिन नगर निगम के बागवानी विभाग को यह दीमक दिखाई नहीं दे रही है।
चंडीगढ़, जेएनएन। शहर के हरे भरे पेड़ों को दीमक लग रहा है जिस कारण वह कमजोर हो रहे हैं, लेकिन नगर निगम के बागवानी विभाग को यह दीमक दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में अब मजबूर होकर वन विभाग को नगर निगम के कार्यकारी अभियंता को पत्र लिखकर दीमक दूर करने के लिए उचित कदम उठाने के लिए कहा है। वन विभाग के आइएफएस टीसी नोटियाल ने इस संबंध में पत्र लिखा है।पत्र में उद्योग पथ में सड़क किनारे लगे हरे भरे पेड़ों को लग रही है दीमक का विशेष तौर पर जिक्र किया है।
मालूम हो कि इसके अलावा शहर में दर्जनों पेड़ों पर दीमक लगी हुई है जो कि कमजोर हो गए हैं।बारिश और तेज हवाएं चलने पर यह पेड़ गिर जाते हैं। पत्र में कहा गया है कि पूरे देश में चंडीगढ़ ग्रीन सिटी में टाप पर है। वन विभाग ने नगर निगम को भेजे पत्र में दीमक लगे पेड़ों की तस्वीरें भी भेजी हैं। शहर में दीमक के अलावा कई दूसरी तरह की बीमारियां भी पेड़ों को लगी हुई हैं। वन विभाग ने इस ओर भी ध्यान देने की अपील की है। इने बचाकर शहर की हरियाली को बचाया जा सकता है।
मालूम हो कि शहर को ग्रीन सिटी का दर्जा भी इन पेड़ों के कारण मिला हुआ है, लेकिन हर बारिश में शहर में एक दर्जन से ज्यादा पेड़ गिर जाते हैं। दो माह पहले देहरादून का फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट भी शहर में पेड़ों के लिए होने वाले प्रोनिंग को अवैज्ञानिक बताकर अपनी रिपोर्ट दे चुका है।
पौधारोपण से ज्यादा जरूरी है लगे पेड़ों को बचाना
पर्यावरण प्रेमी राहुल महाजन का कहना है कि शहरवासी कई बार दीमक लगे पेड़ों की जानकारी दे चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद नगर निगम का बागवानी विभाग कुछ नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि एक पेड़ से दीमक हटाने का खर्चा मात्र दस रुपये है। जबकि निगम के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। उनका कहना है कि नए पौधारोपण तो जरूरी है ही, लेकिन इससे ज्यादा जरूरी है कि पहले से शहर में लगे पेड़ों को बचाया जा सके ।