Chandigarh News: चुनावी रैलियों में सरकारी बसों के इस्तेमाल का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, पंजाब सरकार से मांगा जवाब
पंजाब में राजनीतिक रैलियों में सरकारी बसों के इस्तेमाल और संसाधनों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court) में याचिका दायर की गई है। इसको लेकर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को 28 मई तक जवाब देने के आदेश दिए हैं। याचिका ने कहा कि ये चुनाव रैली कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब में राजनीतिक रैलियों में सरकारी बसों और संसाधनों के प्रयोग का आरोप लगाते हुए दाखिल जनहित याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने सुनवाई की। इस सुनवाई में पंजाब सरकार व अन्य प्रतिवादियों को 28 मई तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिए गए हैं।
याचिका दाखिल करते हुए मनिक गोयल ने हाईकोर्ट को बताया कि एक ओर जहां लोग सरकारी बसों की कमी के चलते परेशानी का सामना कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर हजारों बसों को राजनीतिक रैलियों के दौरान कार्यकर्ताओं को लाने व ले जाने में लगा दिया जाता है।
रैली कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं- याचिका कर्ता
याची ने बताया कि इस सबके अतिरिक्त सरकारी अधिकारियों को नोडल अफसर व अन्य जिम्मेदारी दे दी जाती हैं जबकि रैली कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं है। शिक्षकों को बसों का इचार्ज बनाकर उन्हें भी रैलियों में शामिल करवाया जाता है। याची ने हाल ही में पंजाब में हुई रैलियों की वीडियो अपनी याचिका के साथ संलग्न करते हुए कहा कि राजनीतिक रैलियों के लिए जनता के पैसे का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
याची ने जनता के पैसे के दुरुपयोग की कही बात
लोकसभा चुनाव नजदीक आते-आते प्रदेश में सत्ताधारी दल की रैलियां और अधिक बढ़ गई हैं और इनमें सरकारी मशीनरी का प्रयोग किया जा रहा है जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसके साथ ही यह भी बताया कि रैलियों में आने वाले लोगों को रोटी, अचार, लस्सी व पानी की बोतल उपलब्ध करवाई जाती है जो जनता के पैसे का दुरुपयोग है।
हाईकोर्ट से अपील की गई कि राजनीति कार्यक्रमों में सरकारी संसाधनों के प्रयोग पर तुरंत रोक लगाई जाए। हाईकोर्ट ने अब याचिका में लगाए गए आरोपों को लेकर पंजाब सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
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