छात्राें की कमी के चलते इस वर्ष Punjab University के कई विभाग होंगे मर्ज Chandigarh News
पंजाब यूनिवर्सिटी के कई विभाग ऐसे है जहां पर स्टूडेंट्स की संख्या बहुत ही कम है। इन विभागों में कम से कम दस या फिर ज्यादा से ज्यादा 12 स्टूडेंट्स हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। Punjab University : पंजाब यूनिवर्सिटी के कई विभाग ऐसे है जहां पर स्टूडेंट्स की संख्या बहुत ही कम है। इन विभागों में कम से कम दस या फिर ज्यादा से ज्यादा 12 स्टूडेंट्स हैं। इस बात को देखते हुए पीयू प्रशासन ने पहले भी इन विभागों को आपस में मर्ज करने की बात कही थी। अब एक बार फिर से इन विभागों को मर्ज करने की कवायद तेज हो गई है।
वीरवार को विभागों को मर्ज करने को लेकर पीयू प्रशासन के आला अधिकारियों की एक बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद विभागों को मर्ज करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। पीयू प्रशासन के इस फैसले के बाद इसका विरोध भी होना शुरू हो गया है। कुछ विभागों के अध्यक्षों का कहना है कि पीयू प्रशासन का यह फैसला बेबुनियाद है और वह ऐसा नहीं होने देंगे।
कई वर्षों से स्टूडेंट्स की संख्या हुई कम
सूत्रों के अनुसार पीयू में कई विभाग ऐसे हैं जिसमें स्टूडेंट्स की संख्या न के बराबर है, जिसमें उर्दू विभाग मुख्य है। उसके अलावा भी कई विभाग ऐसे हैं जहां पर केवल पांच से दस स्टूडेंट्स ही हैं। इस बात को देखते हुए पीयू प्रशासन ने कई वर्ष पहले से ही इन विभागों को मर्ज करने के प्लानिंग बना ली थी।
विभागों का नाम सेंटर से शुरू होने पर आपत्ति
पिछले वर्ष नैक की टीम ने पीयू कैंपस का दौरा किया था। उन्होंने कई विभागों के नाम सेंटरों से शुरू होने पर आपत्ति जताई थी। पीयू में विभागों की संख्या लगभग 70 है और कई विभाग ऐसे हैं जो सेंटर के नाम से शुरू होते है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। उसके अलावा साइंस विभाग एक ही छत के नीचे होने आवश्यक है। इसी तरह उन्होंने उर्दू, संस्कृत आदि विभाग को भी एक ही जगह मर्ज करके लैंग्वेज का नाम देने की वकालत की थी।
विभागों को मर्ज करने से मिलेगा फंड और सुविधाएं
विभागों को मर्ज करने से पीयू की ग्रेडिंग पर असर पड़ेगा। जब ग्रे¨डग बेहतर आएगी तो पीयू को फंड आदि सुविधाएं मिलेंगी। पीयू इसे लेकर तीन साल से जुटा हुआ है। पूर्व वीसी प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर ने भी यह प्रस्ताव तैयार करवाया था। इस समय केवल उसी प्रस्ताव पर काम किया जा रहा है।
कुर्सी खिसकने का डर
विभागों के मर्ज होने पर उनके अध्यक्षों की कुर्सी भी खिसक जाएगी। इस डर की वजह से वह विभागों को मर्ज करने का विरोध कर रहे हैं। लेकिन पीयू प्रशासन ने साफ कर दिया है कि वह अगले सत्र से उर्दू को लैंग्वेज में ही शामिल करेगा। सूत्रों के अनुसार पीयू प्रशासन उर्दू के अलावा ओर भी तीन विभाग ऐसे हैं जिनको मर्ज करने के लिए पूरी प्लानिंग की जा चुकी है।