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मेजर जनरल करता था महिला कैप्टन का यौन उत्पीड़न, आर्मी कोर्ट ने दिए बर्खास्तगी के आदेश

वेस्टर्न कमांड चंडीमंदिर में आर्मी कोर्ट ने एक कैप्टन रैंक की महिला अधिकारी की शिकायत पर एक सर्विंग मेजर जनरल को बर्खास्त करने का आदेश दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 24 Dec 2018 09:08 AM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2018 08:59 AM (IST)
मेजर जनरल करता था महिला कैप्टन का यौन उत्पीड़न, आर्मी कोर्ट ने दिए बर्खास्तगी के आदेश

जेएनएन, चंडीगढ़। वेस्टर्न कमांड चंडीमंदिर में आर्मी कोर्ट ने एक कैप्टन रैंक की महिला अधिकारी की शिकायत पर एक सर्विंग मेजर जनरल को बर्खास्त करने का आदेश दिया है। महिला अधिकारी ने यौन उत्पीड़न की शिकायत आर्मी कोर्ट में की थी।

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यह मामला उस समय का है, जब मेजर जनरल एमएस जसवाल असम राइफल नागालैंड में इंस्पेक्टर जनरल के पद पर तैनात थे। उसी समय जज एडवोकेट जनरल ब्रांच की महिला कैप्टन ने अपने सीनियर अफसरों के खिलाफ यौनउत्पीड़न की शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने अपनी शिकायत में बताया था कि उनके सीनियर अधिकारी जसवाल ने आधिकारिक काम के नाम पर उन्हें देर शाम अपने कमरे पर बुलाया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया। कोर्ट मार्शल के फैसले पर अभी आर्मी चीफ की मुहर लगनी बाकी है।

आर्मी की जांच में दोषी मिले अधिकारी

शिकायत पर आर्मी कोर्ट ने मेजर जरनल एमएस जसवाल के खिलाफ आर्मी एक्ट अंडर सेक्शन-65 और इंडियन पैनल कोड के सेक्शन 357 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। मामले की जांच के बाद आर्मी ने दोषी के खिलाफ आर्मी एक्ट के सेक्शन 45 के तहत कोर्ट मार्शल की कार्रवाई शुरू की। कोर्ट मार्शल की कार्रवाई इंजीनियरिंग ब्रिगेड के हेडक्वार्टर में 18 जून से शुरू हुई थी।

जसवाल ने सभी आरोपों को किया था खारिज

कोर्ट मार्शल के प्री ट्रायल प्रोसिडिंग्स में मेजर जनरल एमएस जसवाल ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें आर्मी के शीर्ष स्तर पर चल रही लड़ाई में मोहरा बनाकर इस्तेमाल किया गया है। यह फैसला गलत है और वह इस खिलाफ आगे अपील करेंगे। कोर्ट मार्शल के दौरान मेजर जनरल रैंक के सैन्य अधिकारी को अंबाला अटैच कर दिया गया था। मेजर जनरल ने कोर्ट मार्शल की इस प्रोसिडिंग को आर्मी फोर्स ट्रिब्यूनल के दिल्ली बेंच में चैलेंज भी किया है।

असम राइफल में अपनी टर्म पूरी करने वाले थे जसवाल

पहले मेजर जनरल को अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए रांची स्थित ईस्टर्न कमांड की 17 कार्प्स के साथ अटैच किया गया था। इसके बाद इस मामले को वेस्टर्न कमांड को सौंपा गया। मेजर जनरल जसवाल पर यह आरोप उस समय लगे, जब वह असम राइफल में अपनी टर्म पूरी करने वाले थे तथा सेंट्रल कमांड में उनकी तैनाती लेफ्टिनेंट जनरल पद पर चीफ ऑफ द स्टाफ के रूप में होने वाली थी।

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