अपनी कमजोरी को बनाया हथियार और जीती सफलता की जंग
इंस्ट्रूमेंटल ऑर्गेनाइजेशन के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. मनोज कुमार पटेल पर सटीक बैठती हैं।
वीणा तिवारी, चंडीगढ़ : बड़े इत्मीनान से हर इम्तिहान पार किया हमने, कुछ इसी तरह से अपना हर सपना साकार किया हमने..ये चंद लाइनें चंडीगढ़ स्थित सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंटल ऑर्गेनाइजेशन के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. मनोज कुमार पटेल पर सटीक बैठती हैं। जिन्होंने अपनी कमजोरी को ही हथियार बनाया और मजबूती से डट गए जिंदगी से मुकाबले को। बार-बार गिरने के बावजूद भी उन्होंने उठने की हिम्मत नहीं छोड़ी। यूपी के बांदा जिले के मियाबरौली गांव में एक किसान के घर जन्म लेने वाला 100 प्रतिशत दिव्यांग बच्चा जो अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता था, उसका परिवार ने हर कदम पर साथ दिया। अपनों के साथ और खुद की इच्छाशक्ति के बल पर डॉ. मनोज देश का नाम रोशन कर रहे हैं। छोटे को आगे बढ़ाने के लिए बड़े भाई ने छोड़ी पढ़ाई
छह भाई-बहनों में सबसे छोटे मनोज ने अपने बचपन की यादें साझा करते हुए बताया कि मुझे अच्छी तरह याद है जब मैं चल नहीं पाता था। मेरे भैया मुझे कंधे पर बैठाकर गांव में घुमाया करते थे। अपनी उम्र के बाकी बच्चों को स्कूल जाते देख जब मैंने भी जिद्द की तो मेरे भाइयों ने मेरी हिम्मत बढ़ाई। हर दिन स्कूल ले जाने और ले आने की जिम्मेदारी ली। आठवीं पास की तो गांव से बाहर पढ़ाई के लिए भेजने का निर्णय लिया गया। मेरे लिए भैया ने दूसरे शहर में काम शुरू किया। दो साल तक मैं और मेरे भैया घर से दूर रहे। 10वीं के बाद मैंने अकेले बाहर जाकर पढ़ाई करने का निर्णय लिया। मेरे घरवालों ने उसका समर्थन किया। मैंने चित्रकूट में अकेले रहकर 12वीं पास की। दुश्वारियों से नहीं घबराया
12वीं के बाद कानपुर आ गया। वहां इंजीनियरिग की तैयारी की। एनआइटी में सेलेक्शन हुआ। यहां भी दुश्वारियों ने पीछा नहीं छोड़ा। मेरी प्रतिभा को दरकिनार कर कुछ कंपनियों ने मेरी शारीरिक क्षमता को आंककर मुझे लेने से इन्कार किया। मैंने हिम्मत नहीं हारी। इसरो और सीएसआइआर का एग्जाम दिया। सीएसआइआर में सेलेक्शन हुआ। 2010 में सफर शुरू हुआ, 2017 में सीएसआइओ में काम करने के दौरान ही डॉ. पवन कपूर और डॉ. सी घनश्याम के सानिध्य में पीएचडी पूरी की। कृषि के विकास के लिए बनाए ये उपकरण
डॉ. मनोज सीएसआइओ के एग्री ऑनिक्स डिविजन में सीनियर साइंटिस्ट हैं। इन्होंने कृषि के लिए इलेक्ट्रोस्टेटिक कीटनाशक स्प्रेयर, इलेक्ट्रोस्टेटिक धूलशमन और पर्यावरण संरक्षण उपकरण, इलेक्ट्रोस्टेटिक सेनिटाइजर और फलों व सब्जियों के लिए शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रोस्टेटिक खाद्य कोटिग प्रणाली संबंधी उपकरणों का आविष्कार किया है। कम समय में बड़ी उपलब्धियां
-2016 में राष्ट्रपति भवन में गांधीयन यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन अवॉर्ड
-2017 में टॉप 30 इनोवेटर ऑफ इंडिया का अवॉर्ड
-2017 में ही टॉप 6 इनोवेटर अवॉर्ड
-2018 में विज्ञान भवन में नेशनल सोसाइटल इनोवेशन अवॉर्ड
-2019 में कुरुक्षेत्र में यंगर साइटिस्ट अवॉर्ड