दिव्यांगता को पीछे छोड़ प्यार की जीत हुई
दिव्यांगता को पीछे छोड़ प्यार की जीत देखने को मिली स्पाइन रिहैब सेंटर-2
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : दिव्यांगता को पीछे छोड़ प्यार की जीत देखने को मिली स्पाइन रिहैब सेंटर-28 में। जहां सोमवार को 29 वर्षीय राहुल सिंह दिवाकर और अनामिका की शादी हुई। राहुल की वर्ष 2016 में एक दुर्घटना में पीठ पर चोट लगने से, शरीर का निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। तब से वह व्हीलचेयर पर हैं। अनामिका ने इन सब सोच-विचार को पीछे छोड़ उनके साथ विवाह किया। राहुल ने कहा कि हम दोनों ही फतहगढ़ में पड़ोसी थे। वर्ष 2008 में दोनों एक दूसरे को चाहने लगे। 13 मार्च, 2016 में एक एक्सीडेंट के बाद पीठ पर चोट लगी और निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया। उस दौरान अनामिका ने ही मेरा साथ दिया। वो घंटों मुझसे बात करती और मुझे हौंसला देती। पिता सेना में और मां-बहन शिक्षक थे। घर पर दोहर को अकेला रहता था, ऐसे में अनामिका मेरा ख्याल रखती थी। पिता का तबादला वर्ष 2018 में हुआ और हम सब लखनऊ चले गए। कुछ दिनों बाद अनामिक घर आई और शादी की बात की। पिता पहले माने नहीं, मगर फिर अनामिका ने कहा कि शादी के बाद अगर ऐसा होता तो क्या करती ? इसके बाद पिता मान गए।
खुश हूं प्यार को पाकर
अनामिका ने कहा राहुल की अच्छाई ही मुझे पसंद है। ऐसे में आज मैं बहुत खुश हूं। छह वर्ष पहले मेरी मां बोन कैंसर की वजह से गुजर गई और कुछ वर्ष पहले पिता की भी ब्रेन हेमरेज से मृत्यु हो गई। मैं चाहती हूं कि अपनी बाकी जिदगी राहुल के साथ खुशी खुशी बिताऊं। स्पाइनल रिहैब की सीइओ निकी पी कौर ने कहा कि इस साल ही जब राहुल को इंटरनेट से हमारे सेंटर के बारे में पता चला तो वो सितंबर में हमारे यहां इलाज के लिए आए। राहुल जो बीटैक हैं, और हाल ही में एक एमएनसी में नौकरी पाने में कामयाब रहा और कंपनी प्रोसेस के अनुसार प्रशिक्षण ले रहा है। अनामिका भी तब से सेंटर में हैं जब से राहुल यहां आए थे। मैं यह सुनिश्चित करना चाहती था कि उनकी शादी उतनी ही भव्य हो, जितनी मैंने अपने बच्चों के लिए की है और हमने उनके लिए एक फर्निश्ड कमरा भी अलॉट किया है और वे जितनी देर चाहें वहां रह सकते हैं।