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चंडीगढ़ में भगवान श्रीकृष्ण की छठी में पौधारोपण कर दिया पर्यावरण बचाने का संदेश

भगवान श्रीकृष्ण की छठी के दिन मंदिर में दैनिक आरती के बाद गीत भजन के साथ सांस्कृतिक आयोजन भी किया गया जिसमें महिलाओं तथा बच्चों ने खूब आनंद मनाया। रात्रि के प्रथम प्रहर में अपने चहेते कान्हा को भावभीनी विदाई दी गई।

By Vinay KumarEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 08:30 AM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 08:30 AM (IST)
चंडीगढ़ में भगवान श्रीकृष्ण की छठी में पौधारोपण कर दिया पर्यावरण बचाने का संदेश
चंडीगढ़ में भगवान श्रीकृष्ण की छठी में पौधारोपण करते हुए।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ के सारंगपुर के नर्मदेश्वर महादेव शिव मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव श्री कृष्ण जन्म से लेकर छठी तक निरंतर भजन कीर्तन और राधा कृष्ण गुणगान सांयकालीन कार्यक्रम में बड़े हर्षोल्लास के साथ किया गया। छठी के दिन मंदिर में दैनिक आरती के बाद गीत भजन के साथ सांस्कृतिक आयोजन भी किया गया जिसमें महिलाओं तथा बच्चों ने खूब आनंद मनाया। रात्रि के प्रथम प्रहर में अपने चहेते कान्हा को भावभीनी विदाई दी गई।

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परिसर में नीम, पीपल, जामुन, आंवला, अमरूद के पौधे लगाए

कृष्णा की विदाई के अवसर पर विशेष रूप से मिठाई वितरण के साथ भंडारा भी लगाया गया। इस मौके पर पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए लोगों को जागरूक किया गया। कान्हा के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में नीर्मदेश्वर महादेव शिव मंदिर सारंगपुर परिसर में नीम, पीपल, जामुन, आंवला, अमरूद व नींबू के पौधों के साथ रुद्राक्ष और बेल के पौधे भी लगाए गए। इस अवसर पर भारतीय वायुसेना से सेवा निवृत्त फ्लाइट इंजीनियर प्रभु नाथ शाही ने कहा कि वृक्ष हमारे भगवान समान हैं। इनकी सुरक्षा और परवरिश हमारा परम  कर्तव्य है। चंडीगढ़ गायत्री परिवार के समन्वयक प्रकाश चंद शर्मा ने बताया कि अथर्ववेद में फलदार और औषधीय पौधे लगाने और उन्हें अपने परिवार का सदस्य समझते हुए उनकी उचित देखभाल करने का विशेष महत्व है।

श्री नर्मदेश्वर महादेव शिव मंदिर व गायत्री मानस चेतना केंद्र सारंगपुर के व्यवस्थापक यशपाल तिवारी ने श्री कृष्ण जन्म महोत्सव की सबको बधाई और शुभकामनाएं देते हुए बाल गोपाल कान्हा को विदा किया तथा नर्मदेश्वर महादेव सेवा समिति की ओर से धन्यवाद किया। गायत्री परिवार ट्रस्ट चंडीगढ़ के मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी श्री उमा शंकर शर्मा ने महोत्सव के समापन पर भावनात्मक विदाई देते हुए कहा कि पूर्ण कार्यक्रम के अंतिम चरण में सामूहिक यज्ञ भी किया गया इस संकल्प के साथ की आने वाले समय में अन्य पर्व  को हर्षोल्लास के साथ मिलकर मनाए जाएंगे।


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