गांधी जी के दर्शन शास्त्र में पीएचडी के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी में लंबी वेटिंग
गांधी जयंती पर विशेष महात्मा गांधी के दर्शन शास्त्र पर शोध के लिए पीयू में लंबी वेटिग लिस्ट।
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़ : महात्मा गांधी के आदर्शो को अपनाते हुए पूरा विश्व 2 अक्टूबर को 150वीं जयंती मना रहा है। गांधी जी के प्रति युवाओं की आस्था का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके बारे में युवा अधिक से अधिक नई जानकारी पाना चाहते हैं। दुनियाभर में महात्मा गांधी न सिर्फ आदर्श बल्कि शोध की शख्सियत बन गए हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी के गांधीयन पीस स्टडीज डिपार्टमेंट में महात्मा गांधी के दर्शन शास्त्र पर पीएचडी करने वालों की इस समय लंबी वेटिग है। डिपार्टमेंट में शोध के लिए पीएचडी में एनरोलमेंट के लिए कड़ा मुकाबला है। विभाग में एक गाइड के पास पांच शोध के इच्छुक कैंडिडेट्स की वेटिग है। जोकि आने वाले पांच साल तक रहेगी। पीयू के गांधीयन पीस स्टडीज डिपार्टमेंट में एमए, एमफिल और पीएचडी कोर्स कराए जाते हैं। सभी कोर्सेज में महात्मा गांधी के जीवन के बारे में पढ़ाया जाता है। एमए इन गांधीयन स्टडीज के लिए पीयू में 40 सीटें हैं जिसमें एडमिशन के लिए इस बार 250 स्टूडेंट्स ने एंट्रेंस टेस्ट क्लीयर किया था। इसके अलावा एमफिल के लिए 10 सीटें है। वहीं, पीएचडी कराने के लिए डिपार्टमेंट के पास तीन गाइड हैं जिनके पास इस समय 16 स्टूडेंट रिसर्च वर्क कर रहे हैं। गांधी स्टडीज के स्टूडेंट्स सिविल सर्विसेज में भी चयनित हो रहे हैं। विदेशी स्टूडेंट्स भी कर रहे पीएचडी
गांधी जी पर पीएचडी करने वाले स्टूडेंट्स में ईरान, थाईलैंड और उत्तर व दक्षिण कोरिया के स्टूडेंट्स भी शामिल हैं। ईरान के स्टूडेंट्स का रिसर्च वर्क एरिया शांति व्यवस्था, भारत की संस्कृति को जानना, दूसरे देशों के साथ संबंधों को बेहतर करने पर है। वहीं, थाईलैंड के स्टूडेंट्स रूरल डेवलपमेंट पर ज्यादा रिसर्च वर्क कर रहे हैं। यह रिसर्च वर्क पंजाब, हरियाणा से लेकर बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में जाकर किया जाता है जहां महात्मा गांधी ने वक्त बिताया। थ्योरी और प्रेक्टिकल में काफी अंतर : प्रियव्रत
गांधीयन पीस स्टडीज में पीएचडी कर रहे प्रियवर्त शर्मा ने कहा कि जो हम थोरी में पढ़ते हैं और उसके बाद प्रेक्टिकल करते हैं, उसमें बड़ा अंतर है। मैंने पीयू से एमफिल और अब पीएचडी की है। मैंने हरियाणा में ब्लॉक स्तर से लेकर जिला स्तर तक शिक्षा के क्षेत्र में काम किया है और वह गांधी के वर्धा कंसेप्ट पर आधारित है। मेरे वर्क प्लेस में बहुत ज्यादा सुधार आया है। गांधीयन स्टडीज डिपार्टमेंट में महात्मा गांधी पर शोध में हर उम्र के लोग दिलचस्पी दिखा रहे हैं। उनके जीवन के विभिन्न पहलूओं पर शोध कार्य चल रहा है। विदेशी स्टूडेंट्स भी गांधी जी पर शोध कर रहे हैं। यहां से स्टडी के बाद कई स्टूडेंट्स ने एनजीओ शुरू किया है।
-डॉ. आशु पसरीचा, चेयरपर्सन, गांधीयन पीस स्टडीज डिपार्टमेंट, पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़