छोटी उम्र के बड़े सपने..
गुरुविनायक सिंह की उम्र 17 वर्ष है, मगर इनकी पेंटिंग से जुड़े विचार वक्त के आगे चलते हैं। बुधवार को उनकी पहली कला प्रदर्शनी ऑलियांस फ्रांसिस-36 में आयोजित की गई।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़।
इनकी पेंटिंग में भूतकाल से भविष्यकाल की छटा है। रंग ऐसे हैं जो सीधा आपसे संवाद करते हैं। ऐसे में ये केवल कला ही नहीं, बल्कि एक युवा के सपने, विचार और जेनरेशन गैप की बात भी करता है। हजारों सपने कैनवास पर लिए ये हैं गुरुविनायक सिंह बुधवार, जिनकी पहली कला प्रदर्शनी बुधवार को ऑलियांस फ्रांसिस-36 में आयोजित हुई। इसका उद्घाटन चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष भीम मल्होत्रा ने किया। मैं अकेले में जो बात करता हूं, वही इस पेंटिंग में दर्ज है
गुरुविनायक ने कहा कि उनकी पेंटिंग उनके विचार हैं। हालांकि ज्यादातर पेंटिंग उन्होंने इंटरनेट में मिले चित्र, समाचार और देशों की जानकारी के आधार पर बनाए हैं। मुझे पेंटिंग के जरिए संवाद करना पसंद है। जैसे कि मेरे अंदर के विचार जो काफी विद्रोही स्वभाव के हैं तो इसे मैंने एक बिना शक्ल वाले इंसान के रूप में दिखाए हैं। जो चलता फिरता है, मगर उसकी कोई पहचान नहीं। ऐसे ही में खुद से कई बातें करता हूं, ये बातें समय की होती है, समय में घटी घटनाओं की होती है, जिसपर आधारित चित्र मैंने तैयार किए। मसलन इस्तानबुल की छठी और सातवें दशक की पेंटिंग, जिसमें उस देश को मैंने शांतिपूर्वक दिखाया है, जिसके बाद उसपर हमला हुआ। उसकी विरासत और बिल्डिंग का डिजाइन उन सभी को ध्यान में रखकर मैंने इसे डिजाइन किया। खुद ही सीखी है पेंटिंग
गुरविनायक ने कहा कि पेंटिंग उन्होंने तीन साल की उम्र से ही शुरू कर दी थी। उस दौरान तो ये ड्राइंग तक सीमित थी, मगर धीरे धीरे रंगों की पहचान होने लगी तो विभिन्न मीडियम में पेंटिंग करने लगा। मेरी मां मैथ्स टीचर हैं और पिता बिजनेसमैन, दोनों के विपरीत में इस दिशा में भी आगे बढ़ने की सोची। हालांकि इस समय गवर्नमेट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल-16 से 12वीं कक्षा में नॉन मेडिकल की शिक्षा ले रहा हूं, मगर फिर भी मुझे कला अपनी और खींचती हैं। पेंटिंग जो करती है संवाद.
गुरुविनायक की प्रदर्शनी में लगी कुछ पेंटिंग काफी आकर्षक है। इसमें एक और उठती लहरें और उनको देखता एक मानवी स्वरूप। इसमें गुरुविनायक ने भगवान की ताकत और इंसान के बोनेपन को दिखाया है। ऐसे ही एक महिला जिसका सिर हवा में तो धड़ नीच है, अपने में काफी कुछ कहता है। इसका विचार हवा में उड़ने की इंसानी सोच है। जिसमें वह खुद को जमीन से काट लेता है। ऐसे ही जापाना की मान्यता कि हर इंसान के मिलते जुलते चेहरे जैसे तीन लोग होते हैं, विभिन्न सोच की मुद्राओं में खोए हुए लोग और अन्य चित्र भी काफी रोचक हैं। ऑलियांस फ्रांसिस में ये प्रदर्शनी 4 अगस्त तक रहेगी।