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अधिकारियों की मेहरबानी से लायंस कंपनी को मिलेगी एक्सटेंशन

नगर निगम के अधिकारियों की मेहरबानी से हर माह साढ़े चार करोड़ रुपये लेकर दक्षिणी सेक्टर में सफाई कर रही लायंस कंपनी 30 नवंबर के बाद भी काम करती रहेगी। उनके टेंडर का अनुबंध आगे बढ़ जाएगा। जबकि इस साल मई माह की सदन की बैठक में बहुमत से यह प्रस्ताव पास हुआ था कि नए सिरे से सफाई का टेंडर निकालकर उसे अलाट किया जाए। लेकिन सदन में फैसला होने के बावजूद अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 06:26 PM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 06:26 PM (IST)
अधिकारियों की मेहरबानी से लायंस कंपनी को मिलेगी एक्सटेंशन

-सदन में प्रस्ताव पास होने के बावजूद अधिकारियों ने चार माह तक नहीं बनाया नया टेंडर

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-पार्षद शक्ति देवशाली ने कमिश्नर को पत्र लिखकर कहा, जांच कर देरी करने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय हो

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राजेश ढल्ल, चंडीगढ़

नगर निगम के अधिकारियों की मेहरबानी से हर माह साढ़े चार करोड़ रुपये लेकर दक्षिणी सेक्टर में सफाई कर रही लायंस कंपनी 30 नवंबर के बाद भी काम करती रहेगी। उनके टेंडर का अनुबंध आगे बढ़ जाएगा। जबकि इस साल मई माह की सदन की बैठक में बहुमत से यह प्रस्ताव पास हुआ था कि नए सिरे से सफाई का टेंडर निकालकर उसे अलाट किया जाए। लेकिन सदन में फैसला होने के बावजूद अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया। नए टेंडर के दस्तावेज बनाने और उसे अलाट करने में कम से कम तीन माह का समय चाहिए। ऐसे में लायंस कंपनी को कम से कम तीन माह के लिए काम करने का समय मिल जाएगा। अधिकारियों के रवैये से अब लायंस कंपनी को फेवर करने के सवाल उठ रहे हैं।

इस संबंध में भाजपा पार्षद शक्ति देवशाली ने कमिश्नर को पत्र लिखकर कहा गया है कि उन अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए जिनके कारण अभी तक नए सिरे से टेंडर नहीं लगा है। जबकि मई माह की सदन की बैठक में यह तय हो गया था कि फिर से सफाई के लिए टेंडर निकाला जाए। जबकि मई माह होने वाली सदन की बैठक में जब इस प्रस्ताव पर चर्चा की जा रही थी तो भाजपा के दक्षिणी सेक्टर के कई पार्षद इस बात के समर्थन में थे कि टेंडर को नगर निगम चुनाव होने के कारण एक्सटेंड कर दिया जाए। लेकिन इसके बावजूद बहुमत से फिर से टेंडर करने का प्रस्ताव पास किया गया।लेकिन अधिकारियों ने अभी तक सफाई का टेंडर नहीं निकाला गया।ऐसे में इस माह होने वाली सदन की बैठक में लायंस कंपनी को एक्सटेंशन देने का प्रस्ताव सदन में आ सकता है क्योंकि बिना टेंडर किए सफाई का काम बीच में बंद नहीं किया जा सकता।

कंपनी को दो तरह के टेंडर है अलाट

नगर निगम के अनुसार लायंस कंपनी को दो तरह के टेंडर अलाट हैं, जिनमे से मैन्युअल स्वीपिग के टेंडर का कार्यकाल इस माह की 31 तारीख को समाप्त हो रहा है जबकि दूसरा मेकैनिकल स्वीपिग का टेंडर अगले साल के फरवरी माह में समाप्त हो रहा है। कमिश्नर को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि जानबूझकर देरी की गई है, ऐसे में इसकी जांच होनी चाहिए कि क्यों नहीं सदन के फैसले को लागू किया गया। सदन में प्रस्ताव पास होने के चार माह बीत जाने के बाद भी फिर से टेंडर क्यों नहीं निकाला गया। भाजपा पार्षद एवं सेनिटेशन कमेटी के पूर्व चेयरमैन शक्तिदेव शाली का आरोप है कि नगर निगम को नुकसान पहुंचाकर किसी व्यक्ति एवं कंपनी को अवांछित लाभ देने का प्रयास किया गया है।

टेंडर समाप्त होने के बाद मशीनें मिलनी है एमसी को

दक्षिणी सेक्टरों की सफाई के लिए नगर निगम की ओर से हर साल लायंस कंपनी को 54 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा रहा है। कंपनी से हुए समझौते के अनुसार जो मैकेनिकल स्वीपिग मशीनों का प्रयोग किया जा रहा है वह भी नगर निगम को मिल जाएगी। ऐसे में नवंबर माह में टेंडर समाप्त होने के बाद यह मशीनें भी नगर निगम को मिलनी है।

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कोट

मैने एक माह पहले ही नगर निगम के कमिश्नर के पद पर ज्वाइन किया है। जब मैने ज्वाइन किया तो उस समय टेंडर दस्तावेज तैयार नहीं था। टेंडर प्रक्रिया के पूरा होने और फ्लोटिग के बाद कम से कम तीन महीने का समय लगता है।

अनिन्दिता मित्रा, कमिश्नर नगर निगम


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