सत्ता के गलियारे से: तकनीक का उपयोग कोई प्रकाश सिंह बादल से सीखे, पढ़ें पंजाब की और भी खबरें
कोरोना काल में पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल ने लोगों से मिलना जुलना कम कर दिया लेकिन फिर भी तकनीकी का उपयोग कर उन्होंने संपर्क बनाए रखा। आइए पंजाब के साप्ताहिक कालम सत्ता के गलियारे में कुछ ऐसी ही खबरों पर नजर डालते हैं।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। 94 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का अपने पेड़-पौधों से बहुत लगाव है। यह किसी से छिपा नहीं है, लेकिन कोरोना काल में जब डाक्टरों और उनके परिवार व संबंधियों ने ज्यादा बाहर न निकलने की सलाह दी तो उनका अपने बाग की ओर ध्यान देना मुश्किल हो गया। वह कभी-कभार तो चले जाते लेकिन हर रोज नहीं। ऐसे में उन्होंने आधुनिक तकनीक का फायदा उठाया। वह वीडियो काल के जरिये सारा बाग देखने लगे। सुबह से ही वह इस काम में जुट जाते हैं। बाग में काम करने वाले लड़कों से उन्होंने कह रखा है कि वह वीडियो काल के जरिये उन्हेंं सारे पौधे दिखाते रहें। कोरोना के कारण अब बादल साहिब ने मिलना-जुलना कम कर दिया है। अब किसी से मिलना हो तो भी वह वीडियो काल का ही इस्तेमाल करते हैं। यही कारण रहा कि उन्होंने इतनी भयानक महामारी से भी अपने आप को बचाए रखा।
किसानी मायने पंजाब-हरियाणा
कांग्रेस नेता सांसद राहुल गांधी कृषि कानूनों के विरोध में संसद भवन तक ट्रैक्टर पर बैठ कर गए। इस ट्रैक्टर पर राहुल के साथ पंजाब और हरियाणा के सांसद भी बैठे थे। बात किसानी की थी, इसलिए पंजाब और हरियाणा के सांसदों को ही ट्रैक्टर पर बैठने को मिलना था। आखिर किसानी मायने पंजाब और हरियाणा जो है। आखिर हो भी क्यों ना, 2020 में राहुल गांधी की ट्रैक्टर यात्रा का मंच भी तो पंजाब में ही सजा था। यह अलग बात है कि जिस नेता ने कांग्रेस के लिए इतना बड़ा मंच तैयार किया वह ही आज पूरी तस्वीर से गायब है। बात पते की यह है कि जब केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को लाने का फैसला कैबिनेट बैठक में लाकर किया था तब ही पंजाब में तत्कालीन प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ की आंखों में चमक आ गई थी, लेकिन आज खुद वह ही कांग्रेस के ट्रैक्टर पर मौजूद नहीं हैं।
इसीलिए मनप्रीत ट्रांसपोर्टरों को दे रहे छूट
विधानसभा चुनाव से पूर्व पंजाब में कांग्रेस ने कान्फलिक्ट ऑफ इंटरस्ट कानून बनाने का दावा किया था। इसका अर्थ था कि अगर कोई विधायक किसी कारोबार में शामिल है तो उसे मंत्री नहीं बनाया जा सकता। उसे किसी ऐसे ओहदे पर भी नहीं लगाया जा सकता है, जिसमें उसके अपने कारोबार को लाभ पहुंचता हो, लेकिन साढ़े चार साल बीतने के बावजूद कांग्रेस सरकार यह बिल लाने में नाकाम रही। कारण साफ है कि आधे से ज्यादा कांग्रेस विधायक ट्रांसपोर्टर, शराब के ठेकेदार और रेत का कारोबार करने वाले हैं। कोरोना के कारण वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने निजी बस मालिकों को टैक्सों में छूट दी। अब एक बार फिर से टैक्स में छूट देने की फाइलें उनके पास जा रही हैं। सवाल उठ रहे हैं कि जब मनप्रीत खुद ट्रांसपोर्टर हैं तो वह टैक्सों छूट देने का फैसला कैसे कर सकते हैं। क्या इसी वजह से कान्फलिक्ट आफ इंटरस्ट कानून नहीं बनाया गया।
...जब राज्यपाल बनने की दाल नहीं गली
वरिष्ठ नेता बलवंत सिंह रामूवालिया की बेटी अमनजोत कौर के भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने उससे नाता तोड़ लिया। मीडिया कॢमयों से बात करते हुए वह कई बार भावुक हुए और कहा कि बेटी ने उनके चेहरे पर कालिख पोत दी। उन्हेंं यह आशा नहीं थी। हालांकि कुछ भाजपा नेताओं ने उनकी यह पोल खोल दी है। पता चला है कि वह पिछले लंबे समय से भाजपा हाईकमान के संपर्क में थे। भाजपा में शामिल होने के लिए वह शर्त रख रहे थे कि उन्हेंं किसी राज्य का राज्यपाल बना दिया जाए। रामूवालिया को लग रहा था कि तीन कृषि कानूनों को लेकर जाट समुदाय का विरोध झेल रही भारतीय जनता पार्टी उन्हेंं तुरंत किसी राज्य का राज्यपाल बना देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब रामूवालिया कह रहे हैं कि उन्हें बदनाम करने के लिए भाजपा ऐसी अफवाहें फैला रही है।