कैनवास पर सीखी पेंटिग की बारीकियां
पेंटिग में कई फॉर्म होती है जिसमें आपको कई बड़े कलाकार मिलेंगे।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पेंटिग में कई फॉर्म होती है जिसमें आपको कई बड़े कलाकार मिलेंगे। कोई वाटर पेंटिग को अपनी फॉर्म बनाता है, कोई ऑएल में काम करता है तो कोई एक्रेलिक में। इन तीनों फॉर्म के अलावा पेस्टल कलर, चारकोल जैसे दूसरे मीडियम भी आते हैं। जिसमें बनाए गए सब्जेक्ट को एक विशेष इफेक्ट मिलता है। कुल मिलाकर ये सभी फॉर्म अपने इफैक्ट पर काम करती है। ये आपकी पसंद है, आप जिस भी फॉर्म में पेंट करना चाहें। अंजू बाला कुछ इन्हीं शब्दों में स्टूडेंट्स को पेंटिग की बारीकियों के बारे में बताती हैं। मंगलवार को एमसीएम डीएवी में असिस्टेंट प्रोफेसर अंजू ने छह दिवसीय पेंटिग वर्कशॉप के पहले दिन स्टूडेंट्स को पेंटिग के बेसिक्स सिखाए। इस वर्कशॉप में एब्सट्रेक्ट, फोक और लिप्पन पेंटिग के बारे में बताया जाएगा। पहले दिन अंजू ने स्टूडेंट्स को कैनवास, पेपर और पेंटिग में इस्तेमाल होने वाले दूसरी चीजों के बेसिक्स के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पेंटिग बनाते वक्त, कई बार हमें अपने विषय का खास ध्यान नहीं होता। उसे हम एबस्ट्रेक्ट फॉर्म में डिजाइन करते हैं। इस तरह की पेंटिग में विचार छिपे होते हैं जिसे पेंटर डार्क या ब्राइट फॉर्म में पेंट कर सकता है। ऐसे ही कई पेंटर बड़े कैनवास पर काम करता है तो कोई छोटे कैनवास में। पहाड़ी पेंटिग मुख्यता छोटे कैनवास या पेपर में होती थी। जिसमें बहुत ही मिनिएचर स्टाइल में बारीकियों को ध्यान में रखते हुए पेंट किया जाता था। इसके बाद अंजू ने स्टूडेंट्स को पेंटिग्स के कुछ सैंपल दिखाए। इसके अलावा नामी पेंटर के स्टाइल और उनके विषय पर बात की। स्टाफ को भी जोड़ा आर्ट से
कॉलेज प्रिसिपल डॉ. निशा भार्गव ने कहा कि फाइन आर्ट्स डिपार्टमेंट की इस वर्कशॉप का आयोजन केवल स्टूडेंट को ही नहीं, बल्कि स्टाफ को जोड़ना भी रहा। पेंटिग ऐसा विषय है जो स्ट्रेस को दूर करता है। ऐसे में हम सभी को इस वर्कशॉप से जोड़कर, उन्हें कला की दुनिया में एक छोटा सा निमंत्रण दे रहे हैं।