कानून पाकिस्तान का, हलचल हिंदुस्तान में, जानें क्या है यह रोचक मामला
संगरूर के दो युवाओं ने पक्की नौकरी के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन जिस एक्ट का हवाला दिया वह पाकिस्तानी पंजाब की ओर से बनाया गया था।
चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। सरकारी नौकरी में पक्का होने के लिए युवाओं द्वारा की जा रही मशक्कत का दिलचस्प मामला सामने आया है। संगरूर के दो युवाओं ने पक्की नौकरी के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन जिस एक्ट का हवाला दिया वह पाकिस्तानी पंजाब की ओर से बनाया गया था। इतना ही नहीं, हाई कोर्ट ने भी प्रदेश सरकार को 11 अक्टूबर 2018 तक जवाब देने का नोटिस जारी कर दिया।
कार्मिक विभाग ने जब हाई कोर्ट के नोटिस का जवाब तैयार करना शुरू किया तो उनका ध्यान द पंजाब रेगुलराइजेशन ऑफ सर्विस एक्ट 2018 की ओर गया। इसी एक्ट का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं ने रेगुलर करने की गुहार लगाई थी।
सरकारी नौकरी के लिए पाकिस्तानी पंजाब एक्ट का दिया हवाला
अधिकारियों के ध्यान में आया कि ऐसा एक्ट तो पंजाब सरकार ने पास ही नहीं किया है। जांच में पता चला कि यह एक्ट पाकिस्तानी पंजाब ने बनाया है। इसकी अधिसूचना 30 अप्रैल 2018 को पाकिस्तानी पंजाब सरकार ने जारी की थी। इस एक्ट के द्वारा वहां के करीब बीस हजार अस्थायी कर्मचारियों को पक्का किया जाना जरूरी था।
संगरूर जिला व सत्र न्यायालय में एडहॉक के तौर पर काम कर रही जसप्रीत कौर और जयवर्धन शर्मा ने अपने वकील के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। यह याचिका पाकिस्तानी पंजाब की ओर से एक्ट की नोटिफिकेशन जारी करने के कुछ ही दिन बाद दायर की गई।
याचिका में कहा गया कि उनके मुवक्किल 2013 से क्लर्क के रूप में बेसिक वेतन पर काम कर रहे हैं। सरकार से पंजाब एडहॉक कांट्रेक्चुअल, डेलीवेज, टेम्पोरेरी इम्पलाइज वेल्फेयर एक्ट 2016 और द पंजाब रेगुलराइजेशन एक्ट 2018 के तहत रेगुलर करने की मांग की गई। हाई कोर्ट ने बीती चार जुलाई को प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा।
तैयार किया यह जवाब
पर्सोनल विभाग ने जो जवाब तैयार किया उसमें 6 अप्रैल 2017 को अनीता देवी के एक मामले का हवाला देते हुए कहा कि पंजाब एडहॉक कांट्रेक्चुअल, डेलीवेज, टेम्पोरेरी इम्पलाइज वेल्फेयर एक्ट 2016 को सरकार फिर से बना रही है। द पंजाब रेगुलराइजेशन एक्ट 2018 पाकिस्तानी पंजाब का है, न कि भारतीय पंजाब का।
वकीलों की बड़ी चूक
कार्मिक विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि यह बड़ी चूक का मामला है। याचिका दायर करने से पहले वकीलों को यह देखना चाहिए कि वे जिस एक्ट का हवाला दे रहे हैं वह कहां का है।