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Tricity में लैंड पुलिंग और CLU scheme से जगी अास, किसानाें की हाेगी चांदी Chandigarh News

सीएलयू काे लेकर यूटी प्रशासन जल्द ही बैठक भी करने जा रहा है। इस समय 23 गांव हैं जोकि नगर निगम के अंतर्गत शामिल हैं।

By Edited By: Published: Tue, 24 Dec 2019 10:29 PM (IST)Updated: Wed, 25 Dec 2019 10:55 AM (IST)
Tricity  में लैंड पुलिंग और CLU scheme से जगी अास, किसानाें की हाेगी चांदी Chandigarh News
Tricity में लैंड पुलिंग और CLU scheme से जगी अास, किसानाें की हाेगी चांदी Chandigarh News

चंडीगढ़, [राजेश ढल्ल]। शहर में शीघ्र ही लैंड पुलिंग और सीएलयू स्कीम लागू होंगी। प्रशासन शहर के किसानों के लिए यह स्कीमें लेकर आ रहा है। इन स्कीमों के तहत रेड लाइन से बाहर की जमीन प्रशासन ऑफर के जरिये लेगा। किसानों से उनकी जमीन सहमति से ली जाएगी।

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लैंड पुलिंग और सीएलयू लागू करने से जहां प्रशासन को फायदा होगा, वहीं जमीन मालिकों की भी चांदी होगी। प्रशासन यह व्यवस्था जमीन अधिग्रहण के रास्ते में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए लागू कर रहा है। प्रशासन को शहर में जमीन अधिग्रहण में दिक्कत आ रही थी।

मंगलवार को गवर्नर हाउस में जब गांवों के प्रतिनिधि भाजपा उपाध्यक्ष रामवीर भट्टी के नेतृत्व में प्रशासक वीपी सिंह बदनौर को मिलने के लिए गए तो उन्होंने कमिश्नर केके यादव की मौजूदगी में कहा कि लाल डोरे के बाहर जो कृषि योग्य भूमि है, उसके लिए वह लैंड पुलिंग और सीएलयू स्कीमें लेकर आ रहे हैं। इस संबंध में प्रशासन जल्द ही बैठक भी करने जा रहा है। इस समय 23 गांव हैं जोकि नगर निगम के अंतर्गत शामिल हैं।

2000 एकड़ जमीन है रेड लाइन के बाहर

शहर में रेड लाइन के बाहर 2000 से अधिक एकड़ जमीन है। शहर के किसानों के जमीन विवाद से जुड़े पांच सौ से अधिक केस हाई कोर्ट तथा जिला अदालत में चल रहे हैं। इस स्कीम से किसान तथा प्रशासन दोनों को फायदा होगा।

चंडीगढ़ में जमीन सीमित होने के कारण कीमत करोड़ों में है। हाल ही में चंडीगढ़ प्रशासन ने होम मिनिस्ट्री को लिखे एक पत्र में शहर में डेवलप जमीन की कीमत 64 करोड़ रुपये प्रति एकड़ बताई थी। मौजूदा समय में शहर के किसानों का यह हाल है कि वह अपनी जमीन पर खेती के अलावा कुछ नहीं कर पाते।

केवल इंडस्ट्रियल एरिया में अनुमति

प्रशासन ने शहर में केवल इंडस्ट्रियल एरिया में चेंज ऑफ लैंड यूज की परमिशन दी थी। इसके तहत इंडस्ट्रियल प्लॉट में कन्वर्जन चार्ज लेकर अन्य एक्टिविटी की परमिशन दी गई थी। प्रशासन ने यह फीस दो करोड़ रुपये से लेकर 20 करोड़ तक ली। प्रशासन के पास कन्वर्जन चार्ज से ही 100 करोड़ रुपये से अधिक एकत्रित हो गए थे।

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