रूबरू शहर की विरासत से
शहर की पहचान इसका ओपन हैंड।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : शहर की पहचान इसका ओपन हैंड। जिसके इर्द-गिर्द वीरवार को कई स्कूली स्टूडेंट पहुंचे थे। किसी ने इसे पहली बार देखा था, तो कोई इसे दूसरी या तीसरी बार देखने पहुंचा। सबके मन में इस ओपन हैंड के प्रति प्यार था, कोई कह रहा था कि इसे हमने देखा है, कोई इसके इतिहास पर भी बात कर रहा था। वीरवार को बच्चों की क्लास स्कूल में नहीं बल्कि ओपन हैंड में ही आयोजित हुई। जहां से शहर की महत्वपूर्ण बिल्डिंग्स और यूनेस्को द्वारा हेरिटेज की श्रेणी में आए कैपिटल कांप्लेक्स के बार में बच्चों को बताया गया। टूरिज्म डिपार्टमेंट द्वारा आयोजित इस वॉक में करीब 100 स्कूली बच्चे पहुंचे, जिन्हें ली कार्बूजिए सेंटर की डायरेक्टर दीपिका गांधी ने शहर की विरासत से रूबरू करवाया। हाईकोर्ट, जिसकी एंट्री में कोई गेट नहीं
दीपिका ने स्टूडेंट्स से कहा कि ली कार्बूजिए की सोच का तरीका उनकी डिजाइन बिल्डिंग्स से पहचाना जा सकता है। जैसे उन्होंने हाईकोर्ट के लिए कोई एंट्री गेट नहीं बनवाया, बस तीन पिलर ही इसके आगे रखे, जो कलरफुल है। इसका अपना एक अर्थ है, जो दर्शाता है कि कानून सबके लिए है और इसके दरवाजे सभी के लिए खुले हैं।
कार्बूजिए ने खुद पेंट किया असेंबली का दरवाजा
दीपिका ने स्टूडेंट्स को आगे ले जाते हुए कहा कि कैपिटल कांप्लेक्स में बनी सभी बिल्डिंग्स बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिसमें हम आर्किटेक्ट, आर्ट और इंसान तीनों का ही रिश्ता देख सकते हैं। इसके बाद दीपिका स्टूडेंट्स को असेंबली हाल के दरवाजे के पास ले गई, जहां उन्होंने कहा कि ये दरवाजा पूरी तरह से हैंट पेंटेड है, जिसे खुद कार्बूजिए ने बनाया। उन्हें मनुष्य और जगत के बीच संबंध दिखाने का शौक रहा, ऐसे में उन्होंने इस पेंटिग को बनाया, जो सूर्य से होती हुई, बादलों और फिर धरती में मनुष्य तक पहुंचती है। इसके बीच जो जलवायु और जीव जंतु है, उन्हें भी कार्बूजिए ने दिखाया। रैंप और सीढि़यों से जाना कार्बूजिए के डिजाइन को
स्टूडेंट्स को कार्बूजिए के आर्किटेक्ट के बेसिक्स सिखाते हुए दीपिका ने उन्हें ओपन हैंड में बने रैंप और सीढि़यों का कॉन्सेप्ट भी बताया। साथ ही इसके अंदर मौजूद ऑडिटोरियम, जिसे शहर में होने वाली महत्वपूर्ण गतिविधियों के लिए बनाया गया, इस पर भी गांधी ने स्टूडेंट्स को काफी गहराई से बताया। नेचुरल लैंडस्केप पर आयोजित हुआ सेमिनार
वर्ल्ड हेरिटेज डे पर चंडीगढ़ कॉलेज ऑफ आर्किटेक्ट-12 में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें आइआइटी खड़गपुर की प्रोफेसर अमिता सिन्हा ने जमशेदपुर, वाराणसी और लखनऊ के लैंडस्केप पर बात की। इसके अलावा उन्होंने पैट्रिक गेजिस, ओटो एच कोनिग्सबर, जुलिया कैनेडी, वालेस रोबर्ट और टॉड के डिजाइन पर भी बात की। इसके बाद चंडीगढ़ के मास्टर प्लान 2031 पर एक पैनल डिस्कशन का आयोजन हुआ। जिसमें शहर के विभिन्न आर्किटेक्ट और डिजाइनर शामिल हुए।