कंवलजीत सिंह सूरी ने 'रूबरू-ए-फनकार' सीरीज में साझा किया इप्टा से फिल्मों तक का सफर
कंवलजीत सिंह सूरी ने इप्टा ऑन एयर सीरीज रूबरू ए फनकार के दौरान इप्टा से जुड़ी अपनी रंगमंच और साहित्यिक यादों को साझा किया। उनके साथ इप्टा पंजाब के जनरल सेक्रेटरी इंद्रजीत रुपोंवाली के साथ चर्चा की कमलजीत ने कहा कि उन्होंने शुरुआती शिक्षा प्रीत नगर से ली।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाबी रंगमंच, गायकी और बांसुरी वादन के क्षेत्र में पिछले छह दशकों से योगदान दे रहे इप्टा पंजाब के संस्थापकों में से एक नानक सिंह के बेटे कंवलजीत सिंह सूरी ने इप्टा ऑन एयर सीरीज रूबरू ए फनकार के दौरान इप्टा से जुड़ी अपनी रंगमंच और साहित्यिक यादों को साझा किया। उनके साथ इप्टा पंजाब के जनरल सेक्रेटरी इंद्रजीत रुपोंवाली के साथ चर्चा की कंवलजीत ने कहा कि उन्होंने शुरुआती शिक्षा प्रीत नगर से ली।
उन्होंने कहा कि गुरबख्श सिंह प्रीत लड़ी का प्रीत नगर साहित्य, रंगमंच और सभ्याचार के मामले में भरपूर था। जहां से मेरे बाल मन में साहित्य को लेकर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा कि इप्टा से जुड़कर तेरा सिंह, सुरेंद्र कौर, जगदीश फरियादी, निरंजन सिंह मान, जोगिंदर और दलबीर कौर के साथ मिलकर उन्होंने देश-विदेश में प्रस्तुतियां दी। बोले कि उम्र में छोटा होने के कारण सब मुझे छोटे भाइयों की तरह प्यार करते थे।
मोहम्मद रफी से शिव कुमार बटालवी तक
सूरी ने कहा की इप्टा ने उन्हें देश भर प्रसिद्धि दिलाई। इस दौरान वह अपने रंगमंच और बांसुरी से जुड़े अनुभव को लेकर मुंबई पहुंचे। जहां संगीत से जुड़ी उनकी जानकारी को लेकर काफी प्रसिद्धि मिली। सूरी ने कहा कि मुंबई में पंजाब से जुड़ी कई हस्तियां रही। जिसमें बलराज साहनी, मोहम्मद रफी, नौशाद, सोभा सिंह और शिव कुमार बटालवी जैसे लोगों के साथ काम करने का मौका मिला। यह मेरे लिए बेहद खास पल रहे जिन्हें मैं आज भी याद करता हूं। सॉरी ने इसके बाद अपने बांसुरी वादन से भी रूबरू करवाया जिसमें उन्होंने कई प्रसिद्ध गीतों में दिए अपने बांसुरी वादन की प्रस्तुति दी।
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