इंटरनेट पर शॉपिंग करते वक्त सतर्क रहें, कई ई-कॉमर्स साइटें उपभोक्ताओं से वसूल रहीं अधिक शुल्क
कंज्यूमर एसोसिएशन ने अपना 40वां स्थापना दिवस सेक्टर-19 स्थित कंज्यूमर फोरम की बिल्डिंग में मनाया। इस दौरान संगोष्ठी ई-कॉमर्स और उपभोक्ता आयोजित की गई।
चंडीगढ़, जेएनएन। ई-कॉमर्स उद्योग आजकल दिन दूनी और रात चौगुनी तेजी से बढ़ रहा है। लगभग हर तरह की सेवाएं और उत्पाद आज ऑनलाइन उपलब्ध हैं। ऐसा सोचा गया था कि कम कीमतों पर सभी सेवाएं और उत्पाद इंटरनेट पर ही मिल जाएंगे। उपभोक्ता राजा बन जाएगा। ऐसा कहना है स्टेट कंज्यूमर कमीशन के प्रेसिडेंट जस्टिस जसबीर सिंह (रिटायर्ड) का। उन्होंने यह बात कंज्यूमर एसोसिएशन के 40वें स्थापना दिवस समारोह पर सेक्टर-19 स्थित कंज्यूमर फोरम की बिल्डिंग में आयोजित एक संगोष्ठी ई-कॉमर्स और उपभोक्ता के दौरान कही।
उन्होंने बताया कि फिर भी ई-कॉमर्स में काफी संदेह और गलतफहमी बनी रहती है। सरकार को ई-कॉमर्स बाजार में सुरक्षा और गोपनीयता को बनाए रखने के लिए काम करना होगा। अधिवक्ता पंकज चांदगोठिया ने बताया कि कईं ऐसी एप्प और वेबसाइट है जो कि इंटरनेट हैंडलिंग शुल्क और सुविधा शुल्क के रूप में अवैध शुल्क ले रहे है। यह गैर कानूनी है और आरबीआई ने भी ऐसी कोई अधिसूचना जारी की हुई है। इस दौरान कंज्यूमर अफेयर एंड फूड सप्लाई के एडिशनल डॉयरेक्टर तेजदीप सिंह सैनी मुख्यातिथि के रूप में मौजूद रहे।
मर्चेट डिस्काउंट रेग्यूलेशन के तहत गैर कानूनी
कई डिजिटल सेवा देने वाले एप जैसे पेटीएम, बुकमॉय शो आदि को आइटी अधिनियम की धारा-6 के तहत इस तरह के शुल्क लेने का अधिकार नहीं है। इस तरह के प्लेटफार्म ग्राहकों से इंटरनेट हैंडलिंग शुल्क लेते हैं, जोकि आरबीआइ द्वारा जारी मर्चेट डिस्काउंट रेग्यूलेशन के तहत गैरकानूनी है। उपभोक्ता संरक्षण परिषद के अधिवक्ता और सदस्य अशोक जग्गा ने कहा कि सरकारी अधिकारियों द्वारा सही ढंग से काम नहीं करने की वजह से ओला, उबर कैब, खाद्य वेबसाइट जोमैटो जैसी कंपनियां इस तरह के ज्यादा चार्ज वसूल करते है। ओला और उबर कैब वाले अपनी एप में इसे सरचार्ज कहते है तो खाद्य वेबसाइट वाले इसे पैकेजिंग चार्ज बताकर पैसे वसूलते है, जो कि गलत है।
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