स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के बजाय डिपार्टमेंट ने सरेंडर कर दिए दो करोड़
इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के बजाय अपने दो करोड़ रुपये प्रशासन को सरेंडर कर दिए हैं।
विकास शर्मा, चंडीगढ़ : यूटी स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट ने स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के बजाय अपने दो करोड़ रुपये प्रशासन को सरेंडर कर दिए हैं। विभागीय सुस्ती का आलम यह है कि विभाग ने नए वित्त वर्ष (पहली अप्रैल) शुरू होने से ठीक एक महीना पहले ही यह पैसा सरेंडर कर दिया है। दूसरी तरफ कोचों का कहना है कि वे कई तरह के खेल उपकरणों की कमी जूझ रहे हैं जिसका असर खिलाड़ियों की प्रेक्टिस पर पड़ रहा है। कई बार विभाग को पत्र लिखकर अपनी मांगों के बाबत सीनियर अधिकारियों को अवगत करवा चुके हैं, बावजूद इसके कोई ध्यान दिया जाता। क्लेरिकल स्टाफ की स्पोर्ट्स एप्रोच नहीं, इसी वजह से यह बजट वापस किया गया है, अगर यह बजट स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्टर को सुधारने के लिए खर्च किया जाता तो यकीनन खेल और खिलाड़ियों के स्तर में सुधार होता। यूटी स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट को मिला था 23 करोड़ का बजट
वित्त वर्ष 2019-20 में प्रशासन की तरफ से यूटी स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट को कुल 23 करोड़ रुपये का बजट मिला था। विभाग ने अपने तमाम तरह के खर्चो को पूरा करते हुए मात्र 21 करोड़ रुपये खर्च किए जबकि दो करोड़ रुपये मौजूदा वित्त वर्ष को खत्म होने से पहले ही प्रशासन को सरेंडर कर दिए। जिला खेल अधिकारी रविदर सिंह लाडी ने बताया कि हमने मौजूदा वित्त वर्ष में कई तरह के नए प्रयोग किए जिस वजह से हमारी यह बचत हुई है। इस बार हमने अंडर-14 आयु वर्ग के मुकाबले एक साथ करवाए, एक साथ खेल आयोजनों से हमारा समय और पैसा दोनों बचा। वहीं, दूसरी तरफ खेलो इंडिया गेम्स की वजह से इस साल हम हम अंडर-19 स्टेट गेम्स का आयोजन नहीं करवा पाए। इस बड़े आयोजन के नहीं होने से यह पैसे खर्च नहीं हुए, इसलिए इसे सरेंडर किया गया है। अधिकारी बोले : बेहतर मैनेजमेंट की वजह से हुई बचत
यूटी स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट के डायरेक्टर तेजदीप सिंह सैनी ने बताया कि डिपार्टमेंट के पास बजट की कोई कमी नहीं है। आप इसी बात के दूसरे पहलू को देखिए कि स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट ने कैसे बेहतर मैनेजमेंट से दो करोड़ रुपये की बचत की है, हमने स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतरीन बनाने में करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। भविष्य में कोई जरूरत लगती है तो खर्च करने में कोई दिक्कत नहीं है। पैसे सरेंडर करना कोई गलत बात नहीं है, यह जनता का पैसा है और हम बेहतर प्लानिग के साथ इसे खर्च करेंगे, जिससे खेल और खिलाड़ियों को इसका फायदा मिल सके।