हेल्थ विभाग में आरटीआइ से जानकारी पाना आसान नहीं
यूटी स्वास्थ्य विभाग ने आरटीआइ नियम की खिल्ली उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है।
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : यूटी स्वास्थ्य विभाग ने आरटीआइ नियम की खिल्ली उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। इसको लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। इसी को लेकर विभाग का नया कारनामा सामने आया है। विभाग में फीस तो ली जा रही है लेकिन इसकी रसीद नही दी जा रही है। अगर कोई पूछता हो तो बाद में ले जाने के लिए कहा जाता है। इसको लेकर रियलिटी चैक भी किया गया जिसमें पूरा खुलासा हुआ। पैसे लेकर बिना रसीद काटे डायरी नंबर तक दिया जा रहा है। मामले की पुष्टि के लिए दैनिक जागरण संवाददाता ने स्वास्थ्य विभाग के गवर्नमेंट हॉस्पिटल , सेक्टर 16 में आरटीआइ लगाई तो कहा गया कि रसीद बाद में मिलेगी, पैसे दे जाओ। इसके लिए एक ही आरटीआइ के लिए अलग-अलग 9 सेंट्रल पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर(सीपीआइओ) कार्यालय के धक्के खाने को आम पब्लिक को मजबूर किया जाता है। हर जगह अलग डायरी नंबर मिलता है। इतना ही नहीं अन्य विभागों से संबंधित मागी गई जानकारी को दूसरा कार्यालय मार्क मार्क तक नही कर रहा। पैसे दे दो और डायरी नंबर ले लो, फीस हम कल कटवा लेंगे
स्वास्थ्य विभाग के अंडर आने वाले ड्रग कंट्रोल विभाग में आरटीआइ लगाई गई तो विभाग कर्मचारी जोगिंदर ने कहा कि यहा पर्ची नही कटती है और हमारे पास रसीद बुक नही है। पैसे दे कर डायरी नंबर ले जाओ , फीस को हम बाद में देख लेंगे। एक ही जानकारी के लिए 9 बार फीस क्यों
स्वास्थ्य विभाग ने 9 सीपीआइओ लगा रखे हैं। अगर किसी को सभी विभागों से कोई जानकारी लेनी है। इसके लिए 9 बार फीस कटेगी , यानि कि सामान्य से 9 गुना। जबकि शहर के संस्थान या विभाग में ऐसा नियम नही है। अन्य विभागों में एक बार ही 10 रुपये की पर्ची कटती है जब यहा अलग अलग विभाग के लिए 90 रुपये की रसीद कटेगी।
स्वास्थ्य विभाग में आरटीआइ के लिए 9 जगह धक्के
स्वास्थ्य विभाग ने खुद को 9 विभागों में बाट रखा है। इसमें मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, मलेरिया विंग, एनएचएम, एकाउंट ब्राच, फैमिली वेल्फेयर, प्रशासन, एड्स कंट्रोल विंग, ड्रग कंट्रोल सेल और फूड एंड सेफ्टी विभाग शामिल हैं। मलेरिया विंग में आरटीआइ के लिए सेक्टर 9 जाना पड़ेगा तो एड्स कंट्रोल विंग के लिए सेक्टर 15 में बाकि के कार्यालय सेक्टर 16 जीएमएसएच में अलग अलग हैं।
13 साल में एप्लीकेशन का फार्मेट तक नही बना पाया विभाग
आरटीआइ 2005 में लागू हो गया था। हालात देखिए कि 13 साल गुजरने के बाद भी विभाग ने आरटीआइ एप्लीकेशन के लिए फार्मेट तक नही बनाया है। आवेदक खुद कागज ले कर आते हैं और सपाट कागज पर एप्लीकेशन लिखवाई जाती है।
पीजीआइ, पीयू और जीएमसीएच-32 में रूल हैं, यहा नहीं
शहर के शिक्षण व स्वास्थ्य संस्थानों में सब जगह आरटीआइ को लेकर एक ही कार्यालय है जहा सबके आवेदन लिए जाते हैं। पीयू और पीजीआइ एक बार ही फीस लगती है। अगर जानकारी अलग अलग विभागों को लेकर है तो संबंधित विभागों को एप्लीकेशन मार्क कर दी जाती है। लेकिन जीएमएसएच-16 में ऐसा कतई नहीं है। डायरेक्टर को ही नही पता
इस मामले में हेल्थ डायरेक्टर डॉ. जी दीवान से मिलकर पूछा तो बोले ऐसा नहीं है। जब उनको बताया गया कि कि तीन एप्लीकेशन के लिए तीन बार फीस काटी गई है तो बोले देख लेता हूं। शाम को मामले को लेकर उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।