स्मार्ट सिटी चंडीगढ़ में असुविधाजनक सफर..न बस क्यू शेल्टर, न ही टाइमटेबल
स्मार्ट सिटी चंडीगढ़ में न बस क्यू शेल्टर हैं और न ही बसों का टाइम टेबल। अपेक्षा यह रहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें।
चंडीगढ़, [बलवान करिवाल] : स्मार्ट सिटी चंडीगढ़ में न बस क्यू शेल्टर हैं और न ही बसों का टाइम टेबल। अपेक्षा यह रहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें। प्वाइंट टू प्वाइंट सर्विस देने वाली निजी कार को छोड़ भला ऐसा असुविधाजनक सफर कौन करना चाहेगा। तीन साल में प्रशासन यह तय नहीं कर पाया कि बस क्यू शेल्टर कैसे और कब बनाए जाएं। जो बस क्यू शेल्टर हैं, वह जर्जर हो चुके हैं। 300 बस क्यू शेल्टर तीन सालों से फाइलों में तैयार हो रहे हैं। जो बस क्यू शेल्टर अलग-अलग सेक्टरों में थे, उन्हें नया बनाने के लिए हटा दिया गया था। स्टेनलेस स्टील के बस क्यू शेल्टर का पूरा स्ट्रक्चर और सीटें तक चोरी हो गई। अब सड़कों के किनारे बस क्यू शेल्टर की जगह सिर्फ खाली जगह बची हैं। जिस कारण यात्रियों को यह तक पता नहीं चलता कि बस कहां आकर रुकेगी। इन बस क्यू शेल्टर को बनाने के लिए टेंडर प्रक्रिया अब जाकर शुरू हुई। अभी भी यह तय नहीं है कि कब बनने शुरू होंगे और यात्रियों को कब सुविधा मिलने लगेगी।
डिजाइन तैयार फिर भी इंतजार शहर में सभी बस क्यू शेल्टर एक ही जैसे और मॉडर्न बनाए जाने हैं, जो देखने में भी आकर्षक हों और शहर के आर्किटेक्चर वर्क को दर्शाएं। सेक्टर-17 में डेढ़ साल पहले कंक्रीट का एक बस क्यू शेल्टर बनाया गया था। जो ली कार्बूजिए के मेन प्रोजेक्ट कैपिटल कांप्लेक्स के आधार पर ही तैयार किया गया है। इसमें कलर से लेकर कंस्ट्रक्शन तक हाईकोर्ट और विधानसभा की याद दिलाती है। बस क्यू शेल्टर में डिजिटल स्क्रीन होगी, जिस पर बसों की जानकारी मिलती रहेगी। बैक साइड में साइकिल स्टैंड और विज्ञापन स्पेस के लिए भी जगह होगी। इस मॉडल को प्रशासन की टीम ने मंजूरी दे दी थी। इसी जैसे पूरे शहर के 300 बस क्यू शेल्टर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर बनाए जाने हैं। लेकिन इतना लंबा समय बीतने के बाद भी कहीं कोई शेल्टर नहीं बन पाया। धूप और बारिश में सफर मुश्किल सीटीयू बसों का सफर गर्मियों और बरसात के सीजन में बहुत मुश्किल भरा हो जाता है। बस क्यू शेल्टर नहीं होने से सिर ढकने को भी जगह नहीं मिल पाती। बरसात में पांच मिनट भी रोड पर खड़े होकर बस का इंतजार करना पड़ जाए तो समझो भीगना तय है। इसी तरह से गर्मियों में भी खासी परेशानी रहती है। स्कूली बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को सबसे अधिक परेशानी होती है। बारिश धूप से बचने के लिए कहीं दूर खड़े होते हैं, तो बस आने का पता ही नहीं चलता और वह बिना रुके भी निकल जाती है। बस क्यू शेल्टर नहीं तो टाइमटेबल भी नहीं पहले बस क्यू शेल्टर होते थे, तो उनमें बसों के आने जाने का टाइम टेबल और रूट प्लान भी लिखा होता था।