जीरकपुर में सोसायटी की सड़कें बदहाल, लोग बोले- यहां लाखों रुपये खर्च कर खरीदे फ्लैट, अब पछता रहे
जीरकपुर में कई बड़ी बड़ी सोसायटियां बस चुकी हैं। इन सोसायटियों में दूसरे प्रदेशों से आए लोगों ने लाखों रुपये खर्च कर अपना आशियाना बसाया है। लेकिन यहां की सड़कों की हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि लोग अब यहां घर लेकर पछता रहे हैं।
मोहाली, जेएनएन। जीरकपुर जैसे टाउन में अपने सपनों का आशियाना बनाने वाले लोग लाखों रुपये का फ्लैट खरीदकर अब पछता रहे हैं। उसका कारण उनकी सोसायटी को जाती बदहाल सड़कें हैं।
इन खस्ताहाल सड़कों के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बारिश के दिनों में तो हालात और ज्यादा बदतर हो जाते हैं। बरसात में तो जीरकपुर की सड़कें पानी से लबालब भर जाती हैं। सड़कों पर कई फीट गहरे गड्ढे भी हैं जो बारिश के पानी से भर जाते हैं और इन गड्ढों के कारण दो पहिया वाहन चालक हादसों का शिकार होते हैं। वहीं, चार पहिया वाहन चालकों अपनी महंगी गाड़ियों का नुकसान झेलना पड़ता है। जीरकपुर में लोगों ने उन समस्याओं के बारे में बताया जिन्हें वह रोजाना झेलते हैं।
फ्लैट देते समय बिल्डर करते हैं झूठे वायदे
विक्टोरिया एन्क्लेव में रहने वाले भरत छाबड़ा का कहना है कि बिल्डर फ्लैट बेचने के लिए बड़े-बड़े दावे करते हैं। लोगों को स्वप्न बाग दिखाकर सोसायटी में फ्लैट दिलाकर फिर दावों से मुकर जाते हैं। लोगों को बताया जाता है कि आने वाले दिनों में सोसायटी के बाहर टू-वे लाइन डलने वाली है। लोग अपनी भलाई के लिए महंगे फ्लैैट तो खरीद लेते हैं लेकिन बाद में पता चलता है कि टू-वे तो दूर जो सड़क पहले बनी हुई है उसे भी रिपेयर नहीं किया जाता।
इन्हें गड्ढे नहीं सामने दिखाई देने वाली मौत कहेंगे
हाईलैंड पार्क जीरकपुर में रहने वाले मुनीष बंसल का कहना है कि हमारी सोसायटी को जाती सडक़ों की इतनी खस्ता हालत हैं कि प्रशासन इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहा। सडक़ों पर पड़े इन गड्ढों के कारण लोग अपनी जान गवां रहे हैं। जब लोग इतना टैक्स भर रहे हैं तो उनको मिलने वाली मूलभूत सुविधाएं उन्हें क्यों नहीं दी जाती। लोगों को चाहिए सरकार को टैक्स भरना बंद कर दें। इन्हें गड्ढे नहीं सामने दिखाई देने वाली मौत कहेंगे।
पैच लगाकर कर रहे खानापूर्ति
हाईलैंड पार्क जीकपुर में रहने वाले पंकज सूद का आरोप है कि टूटी सडक़ों को अच्छी तरह रि-कार्पेटिंग करने की जगह खाली पैच लगाकर खाना पूर्ति की जाती है। भबात से एयरपोर्ट को जाने वाली अंदरुनी सडक़ों पर इतने हैवी व्हीकल चलते हैं कि आरजी तौर पर पैच लगाकर ठीक की गई सडक़ दोबारा टूट जाती है। प्रशासन को इसका पक्का इंतजाम करना चाहिए।
वोट मांगने आते हैं नेता, समस्या नहीं होती हल
एयरफोर्स ग्राउंड जीरकपुर में रहने वाले शवि गर्ग का कहना है कि इन टूटी सडक़ों को देखकर नहीं लगता कि लोग यहां सोसायटी में रहते हैं। आज के समय में गांव की सडक़ें भी यहां की सडक़ों से अच्छी हैं। सडक़े देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे किसी पिछड़े गांव में आ गए हों। जब इलेक्शन का समय होता है तब वोट मांगने वाले भी वायदे कर जाते हैं जीतने के बाद एक बार दौरा भी करने नहीं आते। इलेक्शन के समय में लोगों को सडक़ें बनाने जैसी बुनियादी सहुलतें बताकर वोट बैंक को बढ़ाया जाता है। ऐसे नेताओं को वोट डालनी बंद कर देनी चाहिए।