राजनीतिक दबाव के चलते महत्वपूर्ण बिल लटके
-लाभ का पद कानून व लोपाल जैसे कई महत्वपूर्ण बिल नहीं उतरे धरातल पर -अपने ही मंत्री और
-लाभ का पद कानून व लोपाल जैसे कई महत्वपूर्ण बिल नहीं उतरे धरातल पर
-अपने ही मंत्री और विधायक आ रहे हैं कानूनों के दायरे में, इसलिए फंसा पेंच
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इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़: विधानसभा चुनाव से पहले अपने मेनिफेस्टो में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जिन कानूनों में बदलाव करने का ादा किया था, वे सभी महत्वपूर्ण बिल राजनीतिक दबाव के चलते रुक गए हैं। सूत्रों का कहना है कि लाभ का पद, लोकपाल और विधायकों को एडजस्ट करने के लिए लाया जाने वाले बिलों का ड्राफ्ट तैयार हुए काफी समय हो गया है। इस पर कानूनी राय भी ले ली गई है, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते अभी तक ये बिल कैबिनेट में पास नहीं हो सके हैं।
लाभ का पद बिल सीएमओ ने तैयार कर लिया है, लेकिन पता चला है कि इसे पास करवाने को लेकर मंत्रियों में आपसी सहमति नहीं बन पाई है। हालाकि इस मंत्रिमंडल में नवजोत सिंह सिद्धू और पूर्व मंत्री राणा गुरजीत सिंह पर ही लाभ का पद कानून लागू होता था, लेकिन सास्कृतिक मामलों के मंत्री सिद्धू ने टीवी का कार्यक्रम छोड़ दिया है, जबकि राणा गुरजीत सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। अब नए बने उद्योग मंत्री सुंदर श्याम अरोड़ा पर यह लागू हो सकता है, क्योंकि उनकी अपनी प्लाईवुड की यूनिट है। पता चला है कि ज्यादातर मंत्री और विधायक इस हक में नहीं हैं कि सरकार इस तरह का कानून बनाए। विधायक भी रेत के कारोबार में उलझे हुए हैं। लोकपाल एक्ट में सीएम और मंत्री भी
भ्रष्टाचार को काबू करने के लिए बनाया जाने वाला लोकपाल एक्ट भी अधर में लटका हुआ है। चुनावी मेनिफेस्टो में काग्रेस ने वादा किया था कि नए बनाए जाने वाले लोकपाल एक्ट में सीएम और मंत्रियों को लाया जाएगा, लेकिन इस पर भी सहमति नहीं बन पा रही है। सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट के कई मंत्री चाहते हैं कि इसमें सीएम को शामिल न किया जाए, जबकि बाकी की राय है कि मंत्रियों भी नए लोकपाल एक्ट में नहीं होने चाहिए। इसी उधेड़बुन में यह बिल अभी तक कानून का रूप नहीं ले पा रहा है। मंत्री पद न पाने वाले विधायकों को संसदीय सहायक लगाने के लिए बनाया जाने वाला बिल भी अभी तक कैबिनेट में नहीं लाया जा सका है। पता चला है कि विधायक इस पद पर लगने को तैयार नहीं हैं।