पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से ट्राईसिटी में चल रहे अवैध पीजी
पीजी चल रहे हैं जोकि प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत से अवैध हैं।
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़ : ट्राईसिटी में इस समय तीन हजार से ज्यादा पीजी चल रहे हैं जोकि प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत से अवैध हैं। लेकिन सरकारी आंकड़ों में 50 पीजी भी रजिस्टर्ड नहीं हैं। ट्राईसिटी में अब पीजी का धंधा चलाने के लिए पंजाब और हरियाणा से लॉबी काम कर रही है जोकि चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली में महंगे किराये पर कोठिया लेती हैं और इसके बाद कमाई के लिए कोठी के कमरों के अंदर अस्थायी बदलाव करके उसमे महंगे किराये लेकर लड़के और लड़कियों को रहने के लिए दिया जाता है। ऐसे पीजी सिर्फ केयरटेकर के जिम्मे छोड़ दिया जाता है। पॉश एरिया से लेकर कॉलोनियों में भी अब यह धंधा हो रहा है। चंडीगढ़ में तो अब यह हाल हो गया है कि दो से तीन मरले के मकानों में भी अवैध पीजी चल रहे हैं जबकि नियम के अनुसार आठ मरले से नीचे के घरों में पीजी चल ही नहीं सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने भी सेक्टर-32 के हुए अग्निकांड पर गंभीरता जताई है। दूसरे राज्यों से आते हैं हजारों लोग
चंडीगढ़ में पीजी का धंधा इसलिए ज्यादा है क्योंकि पंजाब विश्वविद्यालय के अलावा कई शिक्षण संस्थाएं हैं। इसके अलावा दूसरे राज्यों से ट्राईसिटी में नौकरी करने आए लोग भी इन पीजी का सहारा लेते हैं। शहर में चल रहे अवैध पीजी की जानकारी प्रशासन के संपदा विभाग की टीम और एरिया पुलिस को होती है लेकिन वह भी समय रहते कार्रवाई नहीं करते हैं। रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन समय-समय पर प्रशासन और पुलिस को शिकायत भी कर चुकी हैं। पीजी में आने जाने की कोई मनाही नहीं है। जबकि शहर में ऐसे भी पीजी चल रहे हैं जिनके मालिक कोठी में ही रहते हैं। ऐसे पीजी में कम दिक्कत आती है। उन पीजी में ज्यादा दिक्कत है जहां पर मालिक मकान खुद नहीं रहता है। नगर निगम का फायर विग भी ऐसे कमर्शियल पर्पज से चल रहे पीजी को कभी चेक नहीं करती है। ऐसे कोठियों का पानी और बिजली का बिल भी कमर्शियल आना चाहिए लेकिन वह भी नहीं हो रहा है। कई मालिक मकान ऐसे भी हैं जो पूरी कोठी पीजी चलाने वाले को देकर खुद मोहाली और पंचकूला में बने फ्लैट्स में रहने के लिए ट्रांसफर हो गए हैं। मौत के बाद जागा चंडीगढ़ प्रशासन
सेक्टर-32 के हादसे में तीन लड़कियों की मौत के बाद अब चंडीगढ़ प्रशासन जागा है। डीसी ऑफिस ने सभी एसडीएम को अपने एरिया में चल रहे अवैध पीजी की जानकारी मांगी है। घटना के बाद कई पीजी चलाने वाले सकते में आ गए हैं। उन्होंने रविवार को पीजी में रहने वाले लड़के और लड़कियों को मामला शांत होने तक बाहर ही रहने के लिए कह दिया है। इसके साथ ही पुलिस ने भी सभी गश्त करने वाले कर्मचारियों को पीजी पर नजर रखने के लिए कहा है। पीजी पर कोठी देना ज्यादा फायदेमंद
इस समय लोग भी पीजी पर अपने कोठी किराये पर चढ़ाने को ज्यादा फायदेमंद मानते हैं क्योंकि एक तो उन्हें लगता है कि इससे कोठी पर कब्जा नहीं होगा और इससे कमाई भी ज्यादा होती है। पीजी में रहने वाले लड़के और लड़कियां एक से दो साल बाद कमरा छोड़ देते हैं।
इन सेक्टरों में ज्यादा चल रहे हैं पीजी
अब शहर के हर सेक्टर में पीजी चल रहे हैं लेकिन चंडीगढ़ में सिर्फ 20 पीजी ही संपदा विभाग के पास रजिस्टर्ड हैं। सबसे अधिक पीजी सेक्टर-15, 16, 7, 8, 10, 18, 19, 21, 35, 36, 37, 40, 42, 44 में चल रहे है। यही नहीं, एक-एक कमरे में पांच से छह लड़के और लड़कियां तक रखे हुए हैं। शहर के सभी एसडीएम और एस्टेट ऑफिस से अवैध पीजी की सोमवार तक रिपोर्ट मांगी गई है, रिपोर्ट आने के बाद लंबे अरसे से नोटिस पर चल रहे पीजी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, साथ ही शहर के सभी पीजी जिनमें पूरी तरह से बिल्डिंग वॉयलेशन हैं, उन पर तत्काल रिपोर्ट तैयार कर कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।
-मनदीप सिंह बराड़, डीसी