बर्खास्त DSP दविंदर सिंह से जुड़ रहे IAS राजीव रंजन के तार, दो IPS की भूमिका भी संदिग्ध
बिना वेरिफिकेशन के करीब 30 हजार आर्म्स लाइसेंस जारी करने के मामले में गिरफ्तार कश्मीर कैडर के IAS राजीव रंजन के तार बर्खास्त डीएसपी दविंदर सिंह से जुड़ रहे हैं।
चंडीगढ़ [कुलदीप शुक्ला]। फर्जी दस्तावेज और बिना वेरिफिकेशन के करीब 30 हजार आर्म्स लाइसेंस जारी करने के मामले में गिरफ्तार कश्मीर कैडर के IAS राजीव रंजन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सूत्रों के अनुसार राजीव रंजन का कनेक्शन पिछले दिनों आतंकवादियों के साथ गिरफ्तार किए गए DSP दविंदर सिंह से जुड़ रहा है। इस बारे में CBI रंजन से पूछताछ कर रही है। बता दें कि दविंदर सिंह को भी बर्खास्त किया जा चुका है।
CBI इस मामले के दूसरे आरोपित इतरत हुसैन से भी पूछताछ कर रही है। CBI का कहना है कि वह जल्द ही नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) से भी संपर्क करेगी। गौर रहे कि NIA दविंदर सिंह मामले की जांच कर रही है। आरोप है कि राजीव रंजन और इतरत हुसैन के कुपवाड़ा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) पद पर कार्यरत रहने के दौरान फर्जी दस्तावेजों पर हजारों आर्म्स लाइसेंस जारी किए हैं। CBI राजीव रंजन को गत दिवस कश्मीर लेकर गई। वहां उसे कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने आरोपित को दस दिन के रिमांड पर भेज दिया।
तीन IAS व दो IPS की भूमिका भी संदिग्ध
CBI के अनुसार 2016 से 2017 तक कुपवाड़ा में तैनाती के दौरान रंजन ने करीब 30,000 आर्म्स लाइसेंस जारी किए। उन्होंने प्रति लाइसेंस आठ से दस लाख रुपये लिए। पूछताछ में पता चला है कि चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के लोगों को भी फर्जी कागजातों पर कश्मीरी बताकर लाइसेंस जारी किए गए थे। इस मामले में राजीव रंजन के बैच के दो और उसके सीनियर बैच के एक IAS के अलावा दो IPS की भूमिका भी सामने आ रही है।
2017 में फर्जी हथियार लाइसेंस के साथ पकड़ा गया था राजीव रंजन का भाई
2017 में राजस्थान पुलिस ने राजीव रंजन के भाई ज्योति रंजन को फर्जी हथियार लाइसेंस के साथ गिरफ्तार किया था। तब राजस्थान के तत्कालीन डीजीपी ओपी गिल्होत्रा ने जांच के बाद राजीव रंजन पर भी शक जाहिर किया था। श्रीगंगानगर में 2007 में फर्जी आर्म्स लाइसेंस के मामले सामने आने के बाद करीब आधा दर्जन केस दर्ज किए गए थे। तब जांच में दो-तीन तत्कालीन IAS की सुपरविजन मामले में लापरवाही मानी गई थी। यही नहीं, संबंधित शाखा के दो लिपिकों और एक सहायक कर्मचारी पर भी विभागीय कार्रवाई की गई थी।
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