पंजाब विस में भारी हंगामा, कांग्रेस ने किया वाकआउट
पंजाब विधानसभा में बुधवार को भारी हंगामा हुआ। कांग्रेस ने दो बार सदन से वाकआउट किया। कांग्रेस विधायकों ने दो बार सदन से वाकआउट किया। पहली बार गरीब परिवारों को चीनी व केरोसिन के वितरण में गड़बड़ी मुद्दे पर व दूसरी बार कृषि पर चर्चा के दौरान।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा के मानसून सत्र में बुधवार को भारी हंगामा हुआ। कांग्रेस ने दो बार सदन से वाकआउट किया। पहले कांग्रेस विधायकों ने गरीब परिवारों को सस्ती दर पर दिए जा रहे चीनी व केरोसिन के वितरण में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए भारी हंगामा किया और सदन से वाकआउट कर गए। इसके बाद वे कृषि मुद्दे बहस में मुख्यमंत्री की जगह कृषि मंत्री के बयान देने पर सदन से चले गए।
प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष के नेता सुनील जाखड़ द्वारा गरीब परिवारों को सस्ती दर पर चीनी व केरोसिन वितरण का मुद्दा उठाया। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री आदेश प्रताप सिंह कैरों ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2013 में सस्ती चीनी की अलाटमेंट बंद कर दी थी। राज्य में 10,45,462 गरीब परिवारों को केरोसिन दिया जाता है। अप्रैल-मई 2015 के दौरान पंजाब को 2770 मीट्रिक टन लेवी चीनी प्राप्त हुई है।
विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने जाते मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल।
मंत्री द्वारा 2015-16 में 42696 किलो लीटर मिट्टी के तेल के एलोकेशन कहने पर जाखड़ ने सरकार को चुनौती दी कि वह बठिंडा को छोड़ कर किसी भी जिले में जांच करवा लें कि किसी को भी मिट्टी का तेल मिल रहा हो।
उन्हाेंने मांग की कि इसके लिए विधानसभा की कमेटी का गठन कर दिया जाए। कैरों सफाई देते रहे लेकिन कांग्रेसी इस बात पर अड़े रहे कि कमेटी बनाकर किसी भी जिले की जांच करवा लें। खासे हंगामे के बाद कांग्रेस विधायकों ने सदन से वाकआउट कर दिया।
बाद में कांग्रेस विधायक जगमोहन सिंह कंग ने मोहाली व कुराली बाईपास के निर्माण में अधिग्रहित भूमि का टीडीएस काटने का मुद्दा उठाया। इस पर लोकनिर्माण मंत्री जनमेजा सिंह सेखों ने माना कि टीडीएस काटने में गलती हुई है मगर यह पैसा किसानों को वापस करने को लेकर सेखों ने कोई जवाब नहीं दिया।
सदन से वाकआउट कर बाहर आते कांग्रेस विधायक।
इस पर जगमोहन कंग स्पीकर के आसन के समक्ष धरने पर बैठ गए। अन्य कांग्रेस विधायक भी कंग के समर्थन में आ गए। इसके बाद मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने सदन को भरोसा दिया कि गलती सुधार कर जल्द ही किसानों को उनका पैसा वापस कर दिया जाएगा। इस भरोसे के बाद कंग व अन्य कांग्रेसी धरने से उठे।
कांग्रेस के घेरे में आए तीन अकाली मंत्री
कांग्रेस ने योजनाबद्ध तरीके से अकाली दल के तीन मंत्रियों को तो घेर लिया लेकिन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को रोकने की उनकी रणनीति गड़बड़ा गई। कांग्रेस ने कृषि मंत्री तोता सिंह, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह कैरों और कल्याण मंत्री गुलजार सिंह रणीके को सदन में जम कर लपेटा।
अकाली मंत्रियों को घेरने की कमान नेता प्रतिपक्ष सुनील जाखड़ ने संभाला। जाखड़ बीपीएल परिवार वालों को सस्ते दरों परमिलने वाली चीनी और मिट्टी के तेल को लेकर अपने ही सवाल पर प्रताप सिंह कैरों द्वारा चीनी को लेकर तो थोड़े संतुष्ट हुए लेकिन मिट्टी के तेल को लेकर उन्होंने मंत्री को घेर लिया।
विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने जाते उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल।
कृषि के मुद्दे पर चर्चा के दौरान भी जाखड़ ने कैरों को घेरा और पूछा कि 1 अक्टूबर से धान की खरीद होने वाली हैै। क्या केंद्र सरकार ने कैश क्रेडिट बना दी है। इस पर कैरों असहज हो गए। क्योंकि अभी तक पंजाब की कैश क्रेडिट लिमिट नहीं बनी है। वहीं, बासमती की गिरी कीमत पर भी उन्होंने खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री को घेरा।
इससे पूर्व चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा एससी-बीसी विद्यार्थियों के वजीफे पर ध्यान दिलाओं प्रस्ताव पर जाखड़ ने कल्याण मंत्री गुलजार सिंह रणीके को लपेटा। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि मंत्री जी कल आपके विरुद्ध विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव ला रहे हैं। आपने सदन को गुमराह किया है।
हमला इतना तीखा था कि कल्याण मंत्री भावुक हो गए और बोले 'गरीब लोगों की बात करते हैं, एक गरीब व्यक्ति मंत्री बन गया तो उसके विरुद्ध विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव ला रहे हैं।'
जाखड़ ने जहां कृषि मंत्री तोता सिंह पर जम कर प्रहार किए वहीं, उनसे इस्तीफा भी मांग लिया। बाद में जब कृषि मंत्री अपना पक्ष रखने के लिए खड़े हो गए तो कांग्र्रेसियों ने हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस विधायक तोता सिंह को बोलने नहीं देना चाह रहे थे। उनकी मांग थी कि मुख्यमंत्री बयान दें।
कृषि मंत्री के बाद मुख्यमंत्री को बयान देना था। सदन के शुरूआत में ही कांग्रेस विधायकों की रणनीति थी कि बादल के भाषण के दौरान सदन में नहीं रहेंगे। अपनी योजना के तहत कांग्रेस ने सदन से वाकआउट कर दिया।
कांग्रस के वाकआउट के साथ ही सत्ता पक्ष ने भी अपनी रणनीति बदल दी। कृषि मंत्री ने तो सदन में अपना पक्ष रखा, लेकिन कृषि के मुद्दे पर मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल वीरवार को सदन में अपना उत्तर देंगे।