पंजाब मेें यौन उत्पीड़न के आरोपित प्राचार्य की प्री मिच्योर रिटायरमेंट पर हाई कोर्ट की रोक, ये है मामला
फरीद के एक प्रिंसिपल पर उसी की स्कूल की शिक्षिका ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। मामले में सरकार ने प्रिंसिपल को प्री मेच्योर रिटायरमेंट दे दी। अब याचिकाकर्ता ने इस पर सवाल उठाए हैं। हाई कोर्ट ने प्री मेच्योर रिटायरमेंट पर रोक लगा दी है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने महिला शिक्षिका द्वारा कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ के आरोप को आधार बना प्राचार्य फरीदकोट निवासी वरिंदर सल्होत्रा को प्री मिच्योर रिटायर करने के पंजाब सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही अगली सुनवाई पर पंजाब सरकार को पक्ष रखने का आदेश भी दिया है।
याचिकाकर्ता वरिंदर सल्होत्रा ने हाई कोर्ट को बताया कि शिकायतकर्ता महिला उनकी नियुक्ति से पहले कार्यकारी प्रिंसिपल के तौर पर कार्य कर रही थी। जब वहां पर उनकी नियमित प्रिंसिपल के तौर पर नियुक्त हुई तो शिकायतकर्ता लगातार उसके खिलाफ झूठी शिकायतें देती रही। इसी बीच, उन्हें एक जूनियर असिस्टेंट की पत्नी की शिकायत मिली उनके खिलाफ शिकायत देने वाली महिला शिक्षिका का उसके पति से अवैध संबंध है।
इसके बाद से ही लगातार शिकायतकर्ता उनको परेशान करने लगी और धमकी दी कि उसे नौकरी में नहीं रहने देगी। ऐसी ही एक शिकायत सात मार्च को दी गई। इस शिकायत के आधार पर जांच के लिए कमेटी गठित की गई। याची ने बताया कि कमेटी का कोरम पूरा नहीं था, जांच के दौरान शिकायतकर्ता से उनको सवाल नहीं पूछने दिया जाता था।
याची ने कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ मामले में घटना के तीन माह के भीतर शिकायत देनी होती है। इस मामले में घटना तीन साल पहले की बताई गई है। ऐसे में इस घटना पर जांच करना ही नियम के खिलाफ है। याची ने कहा कि इस जांच की रिपोर्ट के आधार पर ही 14 नवंबर को उसे प्री मिच्योर रिटायर करने का आदेश जारी कर दिया गया।
याची ने बताया कि अभी उसकी 12 साल की सेवा बाकी है, ऐसे में इस आदेश पर रोक लगाई जाए। हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अब पंजाब सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। साथ ही याचिका लंबित रहते उसकी रिटायरमेंट के आदेश पर भी रोक लगा दी है।