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मंत्री हों या अफसर डरने की जरूरत नहीं, जांच एजेंसियों को पूछताछ की पूरी आजादी: हाईकोर्ट

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने नशे के हजारों करोड़ के कारोबार की जांच कर रही एजेंसियों को जांच की खुली छूट दी है। कहा कि उन्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 28 Nov 2017 08:07 PM (IST)Updated: Wed, 29 Nov 2017 10:32 AM (IST)
मंत्री हों या अफसर डरने की जरूरत नहीं, जांच एजेंसियों को पूछताछ की पूरी आजादी: हाईकोर्ट
मंत्री हों या अफसर डरने की जरूरत नहीं, जांच एजेंसियों को पूछताछ की पूरी आजादी: हाईकोर्ट

जेएनएन, चंडीगढ़। नशे के हजारों करोड़ के कारोबार की जांच कर रही ईडी तथा स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को खुली आजादी देते हुए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने उनके हाथ खोल दिए हैं। कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि नशे के व्यापार से जुड़ी जांच के लिए चाहे मंत्री से पूछताछ करनी पड़े या बड़े अधिकारी से निर्भय होकर जांच पूरी की जाए।

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सुनवाई के दौरान लॉयर्स फॉर ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल द्वारा पूर्व मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया के ड्रग के बड़े सप्लायरों से कनेक्शन जांचने के लिए दाखिल की गई अर्जी पर बहस शुरू हुई। एडवोकेट नवकिरण सिंह ने अर्जी में कहा है कि ड्रग माफिया जगजीत सिंह चाहल, जगदीश भोला, एमएस आलैख ने ईडी को 23 अप्रैल 2014 और 9 फरवरी 2015 को दिए बयान में नशे की तस्करी में लिप्त दस एनआरआइ के बारे में बताया था। इनमें सतपाल सिंह, परमिंद्र सिंह और अमरेंद्र सिंह मुख्य है।

आरोप के अनुसार जब भी यह तीनों भारत आते थे तो यह मजीठिया के निवास और गाड़ी का इस्तेमाल करते थे। चाहल व अन्य ने कहा था कि कनाड़ा के यह तीनों नशे के सरगना मजीठिया से जुड़े एक विवाह कार्यक्रम का हिस्सा भी बने थे। इस दौरान सीनियर एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने जांच से जुड़ी कुछ बारिकियों और आ रही बाधाओं के बारे में कोर्ट को जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि तस्करों के बयानों की बारीकी से जांच की जानी चाहिए। इसके साथ ही जो भी इन लोगों से जुड़े लोग हैं उनसे पूछताछ में किसी प्रकार की कोई बाधा न आए यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। मजीठिया से अब तक ईडी बस एक बार पूछताछ कर पाई है जबकि वे दोबारा पूछताछ करना चाहते थे। कोर्ट ने कहा कि जांच करना जांच एजेंसी का काम है और इसमें किसी भी प्रकार की कोई बाधा नहीं आनी चाहिए। खास तौर पर ड्रग्स जैसे मामले की जांच कर रही एजेंसी को दबाव मुक्त रखना जरूरी है ऐसे में ईडी हो या एसटीएफ वे बिना किसी भय के किसी से भी पूछताछ करने को पूरी तरह से आजाद हैं।

इस दौरान गुप्ता ने बताया जांच एजेंसियों के बीच तालमेल नहीं हो रहा है। उन्होंने ईडी द्वारा मांगी गई जानकारी को उपलब्ध न करवाने के एसटीएफ के कदम की निंदा करते हुए यह जानकारी ईडी को मुहैया करवाने के निर्देश जारी करने की अपील की। गुप्ता ने कहा कि ईडी के जांच अधिकारी निरंजन सिंह ने दो बार एसटीएफ को पत्र भी लिखा था, लेकिन इनका जवाब तक नहीं दिया गया। इस जानकारी पर हाईकोर्ट ने एसटीएफ को आदेश दिए कि वे ईडी द्वारा मांगी गई जानकारी उन्हें उपलब्ध करवाएं। ईडी के निदेशक ने हाईकोर्ट में जो एक ख़ुफिय़ा जानकारी दी थी  उस पर भी हाईकोर्ट ने एसटीएफ से जवाब मांग लिया है।

जेल में हो सैंपलों की जांच की व्यवस्था: हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने इसके साथ ही जेल में मौजूद कैदियों के ब्लड और यूरिन सैंपल की जांच की व्यवस्था जेल में न होने पर हरियाणा, पंजाब और यूटी को आदेश दिए कि वे जेल में यह व्यवस्था सुनिश्चित करें कि सैंपलों की वहीं जांच हो जाए। सैंपलों को जांच के लिए  बाहर न भेजना पड़े यह सरकार सुनिश्चित करे। हाईकोर्ट ने कहा कि इससे तय हो जाएगा कि कौन सा कैदी नशे का आदी हैं और फिर उसी अनुसार उसे इलाज की सुविधा दी जाए।

स्कूलों में नशे के खिलाफ पाठ्यक्रम अगले सत्र से

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को सूचित किया गया कि हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ ने स्कूली बच्चों को नशे के दुष्प्रभाव से अवगत करवाने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में अगले सत्र से विशेष पाठ्यसामग्री शामिल करने का निर्णय लिया है। इस दौरान यह भी बताया गया कि स्कूलों के बाद कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्तर पर भी पाठ्यक्रमों में इसे शामिल करने की योजना है।

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