वकीलों की हड़ताल से हाईकोर्ट नाराज, चंडीगढ़ के सलाहकार, गृह सचिव और डीजीपी तलब
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट चंडीगढ़ में है और यहां की कानून व्यवस्था बनाए रखना स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है।
चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। हरियाणा एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के गठन विरोध में धरने पर बैठे वकीलों व न्यायपालिका में टकराव बढ़ता जा रहा है। एक तरफ जहां बार एसोसिएशन ने अपनी हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया है, वहीं हाई कोर्ट ने वकीलों द्वारा लिटीगेंट (न्याय चाहने वाले) को कोर्ट में आने से रोकने पर कड़ा रुख अपनाते हुए चंडीगढ़ के सलाहकार, गृह सचिव और डीजीपी को बुधवार को कोर्ट में पेश होने को कहा है।
हाईकोर्ट ने तीन शिकायतों पर संज्ञान लेकर कड़ा रवैया अपनाते हुए कहा कि लिटीगेंट को रोकना गैरकानूनी और असंवैधानिक है। इंसाफ के लिए किसी को कोर्ट में जाने से रोकना उसका हक छीनना है और ऐसा होने पर हाई कोर्ट मूकदर्शक बनकर देखता नहीं रहेगा। यह सीधे तौर पर न्याय प्रक्रिया में दखल देना है।
बता दें कि वकीलों की हड़ताल का हाई कोर्ट ने संज्ञान ले रखा है। इस मामले में गठित चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस राजीव शर्मा व जस्टिस आरके जैन की फुल बेंच ने याचिकाकर्ताओं की शिकायतों को आधार बनाते हुए मंगलवार को सुनवाई आरंभ की। शिकायतों में बताया गया कि गेट नंबर-एक को छोड़कर बाकी सब गेट बंद कर दिए जाते हैं। गेट नंबर एक से बेहद ही जरूरी केस होने की स्थिति में ही याचियों को बामुश्किल अंदर जाने दिया जाता है। कानून व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन की जिम्मेदारी इस पर हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि हाईकोर्ट चंडीगढ़ में है और यहां कानून व्यवस्था बनाए रखना स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है। इसके लिए क्या इंतजाम किए जा रहे हैं, यह बताने के लिए हाई कोर्ट ने अब चंडीगढ़ प्रशासन के सलाहकार, गृह सचिव और डीजीपी सहित एडीशनल सालिसिटर जनरल ऑफ इंडिया, असिस्टेंट सालिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को भी बुधवार सुबह हाई कोर्ट में पेश होने को कहा है।
हड़ताल को लेकर वकीलों में दरार, जारी रहेगा आंदोलन
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन हड़ताल को लेकर बार दो फाड़ होती नजर आ रही है। ट्रिब्यूनल गठन पर पुनर्विचार के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी के गठन के बाद कुछ वकील हड़ताल खत्म करने के पक्ष में थे, लेकिन ज्यादातर वकीलों ने हड़ताल जारी रखे जाने का सुझाव दिया। बार प्रधान व उप प्रधान में भी इसको लेकर मतभेद भी सामने आए। काफी शोर शराबे के बाद फिलहाल हड़ताल को जारी रखे जाने का एलान कर दिया गया। इस बीच स्थिति काफी तनावपूर्ण बन गई थी।
वकील के पेश नहीं होने पर खारिज होगा केस
हाईकोर्ट के जजों की फुल बेंच की बैठक में तय किया गया कि अगर किसी केस में कोई वकील पेश नहीं होगा तो केस को खारिज किया जा सकता है। मंगलवार को हाई कोर्ट ने काफी संख्या में केस खारिज भी किए। केस खारिज होने पर याची कैप्टन हरीश कुमार बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार वकील के खिलाफ बार काउंसिल या हाई कोर्ट में शिकायत करते हुए मुआवजे की मांग कर सकता है।
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