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समय पर स्क्रीनिग और 84 दिन के कोर्स से ठीक हो सकती है हैपेटाइटिस

उन्होंने बताया कि हैपेटाइटिस एक जानलेवा बीमारी है लेकिन समय पर इस बीमारी की पहचान और मेडिकल कोर्स से इस बीमारी से निजात पाई जा सकती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 08:20 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 08:20 AM (IST)
समय पर स्क्रीनिग और 84 दिन के कोर्स से ठीक हो सकती है हैपेटाइटिस

विशाल पाठक, चंडीगढ़

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समय पर स्क्रीनिग और 84 दिन के मेडिकल कोर्स से हैपेटाइटिस बीमारी ठीक हो सकती है। यह कहना है गवर्नमेंट मल्टी स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल (जीएमएसएच-16) के डॉक्टर मनजीत त्रेहान का। उन्होंने बताया कि हैपेटाइटिस एक जानलेवा बीमारी है, लेकिन समय पर इस बीमारी की पहचान और मेडिकल कोर्स से इस बीमारी से निजात पाई जा सकती है। भारत सरकार ने इस बीमारी को जड़ से खतम करने के लिए निश्शुल्क मेडिकल ट्रीटमेंट की सुविधा शुरू की है। इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों की पहचान कर उन्हें निश्शुल्क दवा और जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। हैपेटाइटिस की बीमारी का सबसे घातक असर व्यक्ति के लिवर पर पड़ता है।

डॉ. मनजीत त्रेहान ने बताया कि समय पर अगर हैपेटाइटिस की पहचान कर उसका इलाज नहीं किया गया। ये बीमारी कैंसर का रूप धारण कर सकती है। एक बार अगर हैपेटाइटिस वायरस व्यक्ति के शरीर में अनियंत्रित मात्रा में बढ़ जाए तो ये कैंसर बन जाता है। जिसका इलाज लंबे समय तक चलता है। फिर ये कैंसर व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इस बीमारी के कारण व्यक्ति के पेट में और पैरों में सूजन भी आ जाती है।

पंजाब में पांच साल पहले तक हैपेटाइटिस बीमारी चरम पर थी। डॉ. मनजीत ने कहा भारत सरकार के स्पेशल वैक्सीनेशन और ट्रीटमेंट प्रोग्राम के जरिए पंजाब समय पर मरीजों की स्क्रीनिग कर इलाज कर बीमारी पर काबू पाने में सफल हुआ है। पंजाब में 95 फीसद मरीज 84 दिन के ट्रीटमेंट के बाद इस बीमारी से खुदको सुरक्षित कर पाए हैं। बच्चों के लिए शून्य, एक और छह का फार्मूला

हैपेटाइटिस बीमारी से नवजात बच्चों को बचाने के लिए भारत सरकार ने शून्य, एक और छह का फार्मूला तैयार किया है। इस फार्मूला के तहत नवजात को पैदा होने पर, इसके बाद एक महीने पर और छह महीने पर हैपेटाइटिस का इंजेक्शन लगाया जाता है। नवजात के जन्म के समय स्वास्थ्य विभाग की ओर से जो हेल्थ कार्ड बनाया जाता है, उसमें हैपेटाइटिस वैक्सीनेशन की निशुल्क सुविधा भी शामिल की गई है। कैदियों की भी हो रही स्क्रीनिग

हैपेटाइटिस बीमारी पर काबू पाने के लिए पीजीआइ के सहयोग से बुड़ैल जेल में बंद कैदियों की भी स्क्रीनिग की जा रही है। डा. मनीजत ने बताया कि पीजीआइ हिमेटोलॉजी डिपार्टमेंट के साथ डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर जेल के पांच हजार कैदियों में हेपेटाइटिस की स्क्रीनिग की जा रही। इस प्रोग्राम को दो महीने पहले शुरू किया गया था। पीजीआइ के हिमेटोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. वीरेंद्र कुमार ने बताया कि कैदियों मे हैपेटाइटिस सी सबसे ज्यादा होता है। कैदियों को इस बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए स्क्रीनिग से लेकर ट्रीटमेंट तक उपलब्ध कराया जा रहा है। पीजीआइ, जीएमसीएच-32 और जीएमएसएच-16 में हर माह आते हैं 70 से 80 मामले

सेंट्रल डाटा की मानें तो पीजीआइ, जीएमसीएच-32 और जीएमएसएच-16 में ओपीडी के दौरान हैपेटाइटिस बीमारी के एक महीने में 70 से 80 मरीज सामने आते हैं। ये मरीज अधिकतर पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से होते हैं। लेकिन बीते कुछ सालों में चंडीगढ़ में हैपेटाइटिस बीमारी का ग्राफ बढ़ा है। चंडीगढ़ से आए दिन इन अस्पतालों में रोजाना आठ से 10 मरीज सामने आ रहे हैं। क्या है हैपेटाइटिस

हैपेटाइटिस एक वायरस रूपी बीमारी है। इसका सीधा असर लिवर पर पड़ता है। इस बीमारी के कारण लीवर में सूजन हो जाती है। हैपेटाइटिस में पांच प्रकार के वायरस होते हैं। जैसे- ए, बी, सी, डी और ई। इनमें टाइप बी और सी लाखों लोगों में क्रोनिक बीमारी का कारण बन रहे हैं। इस बीमारी के कारण लीवर कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। लक्षण

लिवर इनफेक्शन से जुड़ी बीमारी में अमूमन हैपेटाइटिस की जांच की जाती है। हैपेटाइटिस के लक्षण में पीलिया, पेशाब का रंग गहरा होना, जल्दी थक जाना, मतली, उल्टी, पेट दर्द और सूजन, शरीर में खुजली, भूख कम लगना, वजन का घटना जैसे लक्षण ही इसकी पहचान है। बचाव

हैपेटाइटिस से बचाव के लिए रेजर, टूथब्रश को किसी से शेयर न करें। सीरीज को एक बार ही उपयोग करें। शरीर पर टैटू कराने के वक्त उपकरणों से सावधानी बरतें। कान को छेद करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि वह साफ है कि नहीं। बच्चों को हैपेटाइटिस से बचाव के लिए वेक्सीनेशन कराएं।


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