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चंडीगढ़ में बढ़ रहा दिल का रोग, PGI में हर माह आते हैं इसके 945 नए मरीज

चंडीगढ़ में दिल के मरीजों की संख्‍या लगातार बढ़ रही है। हालात यह है कि केवल पीजीआइ में हर माह हृदय रोग के 945 नए मरीज आ रहे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 27 Nov 2017 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 27 Nov 2017 09:06 AM (IST)
चंडीगढ़ में बढ़ रहा दिल का रोग, PGI में हर माह आते हैं इसके 945 नए मरीज

चंडीगढ़, [डॉ. रविंद्र मलिक]।  सिटी ब्‍यूटीफुल के लोगों को दिल का रोग लग रहा है। लापरवाही भरी जीवनशैली के कारण यहां दिल के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं। ठंड बढ़ने के साथ ही ऐसे मरीजों की संख्या और बढ़ रही है। आज हाल यह है कि चंडीगढ़ पीजीआइ में हर माह 945 दिल के नए रोगी सामने आ रहे हैं। पीजीआइ के दो सालों के आंकड़े यही इशारा कर रहे हैं। यह आंकड़ा यहां की ओपीडी में आए मरीजों से निकाला गया है।

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आंकड़ों के मुताबिक हर माह औसतन 136 दिल की सर्जरी बढ़ी है। इसका कारण है उनका गलत लाइफ स्टाइल। साल 2016 में जहां औसतन हर माह 11251 मरीज आए थे। वहीं यह आंकड़ा बढ़कर 12196 प्रति माह तक आ पहुंचा है। पिछले साल की तुलना में इस साल पहले 8 महीने में प्रतिमाह 945 मरीज ज्यादा आए हैं।

स्वास्थ्य संस्थान के कॉर्डियो विभाग में हर महीने दिल के रोगियों की 136 सर्जरी हो रही हैं। यानी प्रतिदिन 4.53 हार्ट सर्जरी रोज की जा रही हैं। ये आंकड़े बीमारी की गंभीरता दिखाने के लिए काफी हैं। दिल की बीमारी का एक बड़ा कारण धूमपान है। तंबाकू सेवन करने वालों में भी यह बीमारी बढ़ती है।

तला खाना और फास्ट फूड़ बीमारी का बड़ा कारण है। शूगर पीडि़तों में इसके होने के चांस कई गुना बढ़ जाते हैं। शरीर में कैलोस्ट्रोल की मात्रा बढऩे से भी यह बीमारी फैलती हैं। ऐसे में बढिय़ा और अनुशासित लाइफ स्टाइल बहुत महत्वपूर्ण है।
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मार्च में आए सबसे ज्यादा मरीज

दो सालों में मार्च में सबसे ज्यादा दिल के रोगी आए हैं। मार्च 2016 में सबसे ज्यादा 12265 मरीज आए। वहीं मई में 11961 मरीज आए। साल 2017 में पिछले साल का रिकॉर्ड टूट गया। मार्च में 14032 मरीज आए। करीब 1800 से ज्यादा मरीज ज्यादा आए। इसके बाद जुलाई में 13420 पेशेंट आए।


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' दिल के मरीजों को ठंड में एहतियात बरतनी चाहिए, धूप निकलने के बाद ही सैर को निकलना चाहिए, ज्यादा नमक का सेवन न करें, संतुलित डाइट का सेवन जरूरी है, स्मोकिंग से पूरी तरह से दूर रहें।

                                                                         - डॉ. यशपाल, अध्यक्ष, कॉर्डियोलॉजी विभाग, पीजीआइ। 


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