चंडीगढ़ में हेल्थकेयर कंपनी ने बदला सेंटर, कंज्यूमर फोरम ने लगाया 15 हजार रुपये का हर्जाना, जानें मामला
जीरकपुर के ढकोली के रहने वाले केशव कुमार ठाकुर ने जिला उपभोक्ता आयोग में वीएलसीसी हेल्थकेयर लिमिटेड कंपनी के खिलाफ शिकायत दी थी। कंपनी ने अपना सेंटर बदला लेकिन उपभोक्ता की राशि वापस नहीं की। इस पर आयोग ने कंपनी पर 15 रुपये का हर्जाना लगाया है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। वीएलसीसी हेल्थकेयर लिमिटेड कंपनी को अपना सेंटर बदलना और उपभाेक्ता को उसकी राशि वापस न करना महंगा पड़ गया। जीरकपुर के ढकोली के रहने वाले केशव कुमार ठाकुर ने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने वीएलसीसी हेल्थकेयर लिमिटेड पर 15 हजार रुपये हर्जाना और आठ हजार रुपये केस खर्च के रूप में जमा करवाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही आयोग ने वीएलसीसी ने जो 29,500 रुपये शिकायतकर्ता से फीस के रूप में लिए थे, वह भी 30 दिनों में वापस करने का आदेश दिया। अगर वीएलसीसी 30 दिनाें में यह राशि वापस नहीं करती तो अतिरिक्त दस हजार रुपये शिकायकर्ता को देने होंगे।
शिकायत की सुनवाई करते हुए आयोग ने कंपनी को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर उपभोक्ता ने कंपनी की सेवा नहीं ली तो फिर वह राशि क्यों नहीं वापस दे रही है। उसके अलावा अगर कंपनी दूर होने की वजह से उपभोक्ता कंपनी की सेवा नहीं ले रहा ताे कंपनी का यह फर्ज बनता है कि वह राशि वापस करें।
यह था मामला
ढकोली के रहने वाले केशव कुमार ठाकुर ने अपने पिता का वजन कम करने के लिए उक्त कंपनी से 23 सितंबर 2018 को टमी ट्रिम, चेस्ट ट्रिप थेरेपी, बॉडी थेरेपी का पैकेज लिया था। इसके लिए उन्होंने कंपनी को 38 हजार रुपये की पेमेंट की थी। शिकायतकर्ता नियमित रूप से कंपनी के सेंटर में गए और 10 किलो वजन कम भी किया, जिसके बाद वीएलसीसी ने 29,500 रुपये के भुगतान पर 10 किलो वजन घटाने के लिए और पैकेज लेने का आकर्षक प्रस्ताव दिया। केशव के पिता ने 28 नवंबर 2018 को यह पेमेंट कंपनी को चेक के माध्यम से कर दी। लेकिन उसके बाद ही कंपनी ने अपना सेंटर मनीमाजरा से सेक्टर-35 में शिफ्ट कर दिया। शिकायतकर्ता ने कहा कि ढकोली से मनीमाजरा नजदीक था इसलिए उसके पिता नियमित तौर पर सेंटर में जा रहे थे, लेकिन सेक्टर-35 दूर होने की वजह से उनके लिए गए पैकेज की सुविधा नहीं लेे पाए। जब कंपनी से राशि वापस मांगी गई तो उन्होंने देने से मना कर दिया। शिकायतकर्ता ने आयोग में शिकायत दी और आयोग ने कंपनी पर 15 हजार रुपये हर्जाना लगाया।