लॉकडाउन के बाद हेल्थ इंश्योरेंस में आइ 50 फीसद वृद्धी
लॉकडाउन से पहले ट्राईसिटी में हेल्थ इंश्योरेंस सुस्त रफ्तार से चल रही थी।
शंकर सिंह, चंडीगढ़ : लॉकडाउन से पहले ट्राईसिटी में हेल्थ इंश्योरेंस सुस्त रफ्तार से चल रही थी, लेकिन लॉकडाउन के बाद अचानक इसमें वृद्धी देखी गई। कोरोना कवर के आने के बाद प्राइवेट हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर लोगों ने दिलचस्पी दिखाई है। ट्राईसिटी में करीबन 50 फीसद की वृद्धी हेल्थ इंश्योरेंस के लिए देखी गई। इंश्योरेंस पॉलिसी एक्सपर्ट गोल्डी शाह ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शहर में टॉप की तीन हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़ी कंपनी एचडीएफसी ओर्गो, मैक्स बुपा और रेलिगेर में बढ़ोतरी देखी गई। इसमें खास बात रही कि ऑनलाइन की वजह से लोगों को फटाफट इंश्योरेंस की सुविधा मिल गई, जिस वजह से कोरोना के डर ने लोगों ने इंश्योरेंस करने के लिए प्रेरित किया। हालांकि जिन्होंने पहले से ही इंश्योरेंस करवाया है, उन्हें एड ऑन ही कोरोना कवर की सुविधा दी गई है। बिना वेटिग पीरियड के लिए मिल रही है पॉलिसी
गोल्डी ने कहा कि कोरोना से कवर होने के बाद हेल्थ इंश्योरेंस बिना वेटिग पीरियड के लोगों को सर्विस दे रहे हैं। इससे पहले पॉलिसी लेने के एक महीने तक किसी बीमारी को लेकर इसका भुगतान नहीं होता था। लेकिन कोरोना कवर में ये पहले दिन से ही एक्टिव हो जाती है। जिस वजह से लोगों ने फटाफट अपना इंश्योरेंस करवाया। हालांकि लॉकडाउन से पहले लोगों में सेविग को लेकर ज्यादा रुचि थी। लेकिन कोरोना वायरस इस कदर अपनी जड़ें मजबूत कर रहा है कि लोग अपना हेल्थ इंश्योरेंस करवा रहे हैं। एलआइसी ने बढ़ाई प्रीमियम देने की अवधि
एलआसी एजेंट सुखप्रीत सिंह ने कहा कि लॉकडाउन के बाद एलआइसी ने कई कदम उठाए। जिसमें पॉलिसी धारकों को एक महीने का ग्रेस पीरियड दिया गया। हालांकि हम ग्राहकों के साथ बैठकर उन्हें पॉलिसी के सभी प्वाइंट्स के बारे में बताते हैं। ऑनलाइन सुविधा एलआइसी भी प्रदान करता है, लेकिन हमारी प्राथमिकता ग्राहकों के साथ बैठकर बात करने की होती है। लॉकडाउन के दौरान, हम उन्हें फोन पर अच्छे से समझाकर ही प्लान दे रहे हैं। अस्पताल में इलाज के दौरान अगर आप जनरल वार्ड की बजाए प्राइवेट रूम लेते हैं तो पॉलिसी पर एक बार रूम के लिए मिलने वाले पैसे पर जरूर नजर डाल लें। अकसर देखने में आया है कि प्राइवेट रूम लेने के बाद डिस्चार्ज के वक्त जब बिल आता है तो इंश्योरेंस कंपनी क्लेम की गई राशि में भारी कटौती करती हैं। इंश्योरेंस कंपनियां सीमा से जितना फीसद रूम किराया होता है, उतनी कटौती पूरे बिल से करती हैं, जिससे कुल क्लेम का केवल आधा या इससे कम हिस्सा ही आपको मिल पाता है। इससे बचने के लिए पहले से आप इस बारे में इंश्योरेंस कंपनी और अस्पताल से जानकारी ले लें। मेडिक्लेम पॉलिसी में अगर आप रिइंबर्समेंट तरीका लेते हैं तो आपको अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद मिलने वाले सभी डॉक्यूमेंट्स को संभालकर रखें। इसमें आप पहले बिल भरते हैं और कंपनी से बाद में क्लेम लेते हैं। इंश्योरेंस कंपनी द्वारा दी गई लिस्ट के अस्पताल में इलाज नहीं करवाया है तो आपको ज्यादा डॉक्यूमेंट्स देने होंगे।
-डॉ. सुमित जैन, सीनियर कंस्लटेंट