सिर्फ संगीत नहीं फिल्म और खाने के शौकीन भी थे पंडित रवि शंकर
ंडित रवि शंकर के साथ मेरी कई यादें हैं। उन्हें केवल संगीत का नहीं बल्कि फिल्म और खाने का भी शौक था।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंडित रवि शंकर के साथ मेरी कई यादें हैं। उन्हें केवल संगीत का नहीं, बल्कि फिल्म और खाने का भी शौक था। अकसर सुबह उनसे मिलता था, तो दोपहर तक संगीत पर बात होती और दोपहर होते ही हम साथ खाना खाते। वो दिन अनमोल थे।
लेखक ऑलिवर क्रास्के कुछ इन्हीं शब्दों में पंडित रवि शंकर से जुड़ी अपनी यादें साझा करते हैं। वह चंडीगढ़ लिटरेरी सोसाइटी द्वारा आयोजित लिटराटी-2020 में अपनी पुस्तक इंडियन सन पर बात करने पहुंचे। स्वाति भदौरिया से उन्होंने बातचीत की। ऑलिवर ने कहा कि पंडित से मिलकर मैंने संगीत को जाना। पहली बार उनसे 1994 में मिलना हुआ। इसके बाद उनके जीवन पर आधारित किताब राम माला को लिखा। उनके गुजरने पर उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को इंडियन सन किताब में प्रकाशित किया। पहली बार उनसे वर्ष 1994 में मिला, तो उनकी कलेक्शन में काफी फिल्में देखी। जिसमें लेटेस्ट फिल्में भी थी। असल जिंदगी को किताब में उतारा
दूसरे सेशन में लेखिका नंदिता पुरी और सुदीती जिदल के बीच बातचीत हुई। इसमें नंदिता ने किताब जेनिफर पर बात की। बोलीं कि ये किताब सच्ची कहानी है। जेनिफर के साथ बैठकर, उसकी कहानी सुनने के बाद मैंने इसे लिखा। जेनिफर हैंस, अंबरनाथ, महाराष्ट्र में पैदा हुई। गरीब परिवार में जन्मी जेनिफर को आठ वर्ष की उम्र में अमेरिका के दो आदमियों ने अडॉप्ट किया। जहां उसके साथ शोषण हुआ। दो वर्ष बाद उसे फोस्टर केयर होम भेजा गया। जहां उसके साथ अच्छा व्यव्हार नहीं हुआ। 18 वर्ष की उम्र तक जेनिफर ने 50 होम बदले। जहां से उसे नशे की लत लगी। उसकी दोस्ती एक ड्रग स्प्लायर से हुई। शादी के चार-पांच साल बाद, दोनों को जेल हुई, दोनों अलग जेलों में शिफ्ट हुए। 28 वर्ष की होने पर अमेरिकी सरकार ने उसे भारत भेज दिया। जहां कोई काम न मिलने से दोबारा नशे में फंस गई। उसे अमेरिका में अपनी पति और बच्चों की याद आती है। इस दुखद यात्रा ने मुझे किताब लिखने की प्रेरणा दी। उन्होंने इसका स्क्रीनप्ले भी तैयार किया, जिस पर फिल्म बन सकती है।