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चंडीगढ़ नए DC के लिए हरियाणा ने भेजा तीन अधिकारियों का पैनल, अक्टूबर में मनदीप बराड़ होंगे रिलीव

चंडीगढ़ के उपायुक्त मनदीप बरार का चार महिने बाद कार्यकाल पूरा हो रहा है। बराड़ अक्टूबर में चंडीगढ़ से रिलीव होंगे। इसके लिए हरियाणा सरकार ने तीन अधिकारियों के नामों का पैनल नए डीसी के लिए भेज दिया है।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 09:52 AM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 09:52 AM (IST)
चंडीगढ़ के उपायुक्त मनदीप बराड़ (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ के नए डिप्टी कमिश्नर (Chandigarh DC) के लिए हरियाणा सरकार ने तीन अधिकारियों का पैनल भेज दिया है। इस पैनल में तीन अधिकारियों के नाम शामिल हैं इनमें एक नाम पंचकूला के मौजूदा डीसी विनय प्रताप सिंह का है। विनय हरियाणा कैडर के 2011 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। विनय से पहले पंचकूला के डीसी रहे मुकुल कुमार का नाम भी पैनल में शामिल है। मुकुल भी 2011 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। वहीं पैनल में तीसरा नाम 2010 बैच के आइएएस अधिकारी प्रभजोत सिंह का है। सीनियोरिटी के आधार पर देखा जाए तो बैच वाइज प्रभजोत सबसे सीनियर अधिकारी हैं। प्रभजोत इस समय एनएचएम के मिशन डायरेक्टर और स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव के तौर पर कार्यरत हैं। वहीं मुकुल कुमार कुरुक्षेत्र के डीसी हैं।

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सीनियोरिटी के हिसाब से प्रभजोत चंडीगढ़ के नए डीसी हो सकते हैं। हालांकि कई बार प्रशासन बैच को दरकिनार कर जूनियर अधिकारी के नाम को भी फाइनल किया गया है। अब इस पैनल में से यूटी प्रशासक वीपी सिंह बदनौर एक नाम फाइनल कर गृह मंत्रालय के पास मंजूरी के लिए भेजेंगे। वह नाम फाइनल होने के बाद हरियाणा उस अधिकारी को चंडीगढ़ में ज्वाइन करने के लिए रिलीव करेगा।

मनदीप बराड़ अक्टूबर में होंगी रिलीव

चंडीगढ़ में डीसी का पद हरियाणा कोटे में आता है। हरियाणा सरकार ही इसके लिए अधिकारी को डेपुटेशन पर भेजती है। डीसी मनदीप सिंह बराड़ का तीन साल का कार्यकाल अक्टूबर में पूरा हो रहा है। बराड़ 2005 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। बराड़ अक्टूबर में अपने गृह राज्य हरियाणा वापस लौट जाएंगे।

कई महीने करना पड़ता था पैनल का इंतजार, इसलिए पहले मांगा

चंडीगढ़ में कई पद पंजाब और हरियाणा कोटे के हैं। इन पदों के लिए यहीं से अधिकारी डेपुटेशन पर भेजे जाते हैं। कई बार समय पर पैनल नहीं आने या पैनल में शामिल अधिकारी की योग्यता व दूसरे नियमों की वजह से अपॉइंटमेंट में देरी हो जाती है। इस वजह से दूसरे अधिकारियों पर काम का बोझ बढ़ जाता है। अकसर पंजाब के स्तर पर ऐसा होता है। पिछले दो फाइनेंस सेक्रेटरी की नियुक्ति छह महीने की देरी से हुई है। इसलिए अब यूटी प्रशासन ने डीसी के लिए पैनल चार महीने पहले ही मांग लिया था।


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