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GST Collection: सर्विस इंडस्ट्री पर ध्यान न देने से हरियाणा की तरह नहीं बढ़ा पंजाब का जीएसटी संग्रह

GST Collection in Punjab पंजाब मेें जीएसटी संग्रह में वृद्धि हरियाणा की तरह नहीं हुआ है। इसके कारणों में सर्विस इंडस्‍ट्री (Service Industry) पर सही तरीके से ध्‍यान न देना भी है। विशेषज्ञों का कहना है कि पंजाब में सेवा सेक्‍टर को बढ़ावा दिया जाना जरूरी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 06 Oct 2022 11:57 PM (IST)Updated: Fri, 07 Oct 2022 08:24 AM (IST)
GST Collection: सर्विस इंडस्ट्री पर ध्यान न देने से हरियाणा की तरह नहीं बढ़ा पंजाब का जीएसटी संग्रह
GST Collection: पंजाब में जीएसटी संग्रह हरियाणा की तुलना में कम बढ़ा है। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। GST Collection in Punjab#  पंजाब में वस्तु एवं सेवा का (जीएसटी) संग्रह बेशक छह माह में दस हजार करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया हो, लेकिन यह हरियाणा के मात्र डेढ़ माह के जीएसटी संग्रह के बराबर भी नहीं है। सितंबर में पंजाब ने जीएसटी से 1710 करोड़ रुपये एकत्रित किए हैं, जबकि हरियाणा में यह आंकड़ा 7403 करोड़ रुपये का है। पंजाब में हरियाणा की अपेक्षा जीएसटी संग्रह में कम वृद्धि का कारण सर्विस इंडस्‍ट्री (Service Industry) पर ठीक से ध्‍यान न देना माना जा रहा है। 

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जीएसटी लागू करावाने वाले राज्‍य में पंजाब अग्रणी था 

दरअसल पंजाब और हरियाणा में जीएसटी संग्रह मेंअंतर के बारे में कुछ भी स्पष्ट करने की जरूरत नहीं है। ऐसा नहीं है कि ऐसा केवल सितंबर में ही हुआ है, बल्कि यह हर महीने हो रहा है और पिछले पांच वर्षों से हो रहा है।, जब से जीएसटी सिस्टम लागू हुआ है। जीएसटी लागू करवाने में पंजाब अग्रणी राज्यों में से था। तत्‍कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर स‍िंह और वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने इस सिस्टम को लागू करने की जोरदार वकालत की और वह अकेले गैर भाजपाई राज्य से थे, जो इसे लागू करने के पक्षधर थे।

पंजाब में अपेक्षा के अनुरूप नहीं बढ़ा जीएसटी कलेक्‍शन 

जीएसटी लागू करने से पहले यह दावा किया गया कि जिन राज्यों में खपत ज्यादा होगी, उन राज्यों को टैक्स के रूप में लाभ ज्यादा मिलेगा। पंजाब में देश भर में प्रति व्यक्ति खपत सबसे ज्यादा होने के कारण पूर्व वित्तमंत्री मनप्रीत बादल को यह लग रहा था कि पंजाब में टैक्स कलेक्शन वैट के मुकाबले काफी बढ़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

मनप्रीत बादल ने जीएसटी का एक साल गुजरने पर जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में यह मुद्दा उठाया था और कहा कि पंजाब को एक केस स्टडी मानकर जीएसटी कलेक्शन को लेकर अध्ययन करना चाहिए, लेकिन उनकी यह बात नहीं सुनी गई। चूंकि भारत सरकार हर साल 14 प्रतिशत वृद्धि का मुआवजा दे रही थी। इसलिए राज्य सरकार ने भी इस बात को दरकिनार कर दिया कि राज्य का अपना टैक्स पड़ोसी राज्य हरियाणा के मुकाबले नहीं बढ़ रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, पंजाब में सेवा सेक्टर को बढ़ाने की जरूरत

इनके कारणों को खोजने की जरूरत है। टैक्सेशन विभाग के कमिश्नर कमल किशोर यादव का मानना है कि हरियाणा में गुड़गांव के कारण सर्विस इंडस्ट्री पंजाब की तुलना में बहुत ज्यादा है। इसका सीधा सीधा लाभ जीएसटी में दिखाई पड़ता है, क्योंकि जीएसटी में गुड्स के अलावा सर्विस टैक्स भी है। पंजाब में इस सेक्टर को बढ़ाने की जरूरत है। 2003 में हुआ पंजाब को सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब को सबसे अधिक नुकसान 2003 में 16 साल के लिए पहाड़ी राज्यों को टैक्सों में छूट देने का बहुत नुकसान हुआ है।

कई शहरों से उद्योग अन्‍य राज्‍यों में शिफ्ट हो गए

अमृतसर, बटाला, जालंधर आदि में लगी इंडस्ट्री इन पहाड़ी राज्यों में शिफ्ट हो गई है। एक अनुमान के अनुसार पंजाब को इससे दस हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह आंकड़ा पंजाब ने अपनी उस याचिका में शामिल किया था, जो इन टैक्स छूट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दी जानी थी, लेकिन केंद्र से टकराव न करने के चलते ऐसा नहीं किया गया।

दूसरा बड़ा झटका जीएसटी लागू करते समय खाद्यान्न पर लगे चार प्रतिशत परचेज टैक्स को खत्म करने से हुआ। पंजाब में इस समय 70 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का खाद्यान्न बिकता है, लेकिन इस पर जीएसटी जीरो है। अगर पहले की तरह चार प्रतिशत इस पर टैक्स लगा रहता, तो पंजाब को हर साल 2800 करोड़ रुपये की आमदनी होती।


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